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मुंबई के जैन मन्दिर
आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन प्रेरणा से बनाया गया हैं। जिसकी चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०३१ का श्रावण सुद ७ बुधवार तारीख १३-८-७५ को परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय रामसूरीश्वरजी म. डेहलावाले की पावन निश्रा में हुई थी। प्रतिमाजी चेम्बुरतीर्थ से लाई गई थी।
यहाँ आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ७, अष्टमंगल -१ तथा यक्ष-यक्षिणी बिराजमान हैं। श्री चंपापुरी, श्री शत्रुजय, श्री गिरनार, श्री सम्मेत शिखर, श्री पावापुरी आदि सभी तीर्थ दर्शनीय हैं।
यहाँ जुहु महिला मण्डल तथा कैलाश एपार्टमेन्ट में उपाश्रय की व्यवस्था है।
मुंबई की लोकप्रिय जुहु चौपाटी आनेवाले समस्त जैन भाईयो से नम्र निवेदन प्रार्थना है कि इस गृह मन्दिरजी का दर्शन पान करने का अवश्य लाभ लेवे।
विलेपार्ले (पूर्व)
(११५) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय
४७, महात्मा गांधी रोड, हनुमान पथ के किनारे पर,
विलेपार्ले (पूर्व) मुंबई - ४०० ०४७. टे. फोन : ओफिस - ८३४ ०८ ०२, हसमुखभाई धामी ८३४ ९८ ८५, ८३५ ३० ९२
विशेष :- इस भव्य जिनालय की सर्वप्रथम प्रतिष्ठा वि. सं. १९८५ माह सुद १३ गुरूवार ता. २१-२-१९२९ को हुई थी। उसके बाद नेमि - विज्ञान कस्तूर समुदाय के पन्यासजी श्री यशोभद्र विजयजी म. तथा मुनि श्री भानुचन्द्र विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०२० का माह सुद - ६ सोमवार ता. २१-१-१९६४ को तत्कालीन संघ प्रमुख सेठ रतिलाल मणिलाल नानावटी के शुभ प्रयासो द्वारा श्री आदिनाथ प्रभु, श्री महावीर स्वामी, श्री अजितनाथ प्रभु, श्री पद्म प्रभस्वामी, श्री शान्तिनाथ प्रभु, श्री गौतम गणधर, श्री पद्मावतीदेवी, श्री चक्रेश्वरी देवी आदि प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा
हुई थी।
___ उसके बाद आचार्य भगवंत जिनशासन शणगार विजय चन्द्रोदयसूरीश्वरजी म. के लघु गुरु बंधु परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय अशोकचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३७ का माह सुद १३ सोमवार ता. १६-२-८१ के दिन संघ प्रमुख श्री रमणलाल डायाभाई के शुभ प्रयासो द्वारा श्री मुनिसुव्रत स्वामी और श्री सीमन्धर स्वामी की प्रतिष्ठा हुई थी। इस प्रतिष्ठा के बाद द्वारोद्घाटन वि. सं. २०३७ का माह सुद १४ को सेठ श्री गुमानमलजी सावलचन्दजी दोशी परिवार भीनमाल (राज.) द्वारा हुआ था।
यहाँ पर सेठ प्रतापराय अंबालाल मोहनलाल जैन उपासरा बना । उसका उद्घाटन समारंभ २०३४ का वैशाख सुदी तृतीया के मंगल दिन परम पूज्य आ. देव वयोवृद्ध पूज्य श्री भुवनसूरीश्वरजी म., पू. आ. विजय लब्धिसूरीश्वरजी म., पू. आचार्य श्री विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. इस प्रकार तीन आचार्य भगवंतो की शुभ निश्रा में हुआ था। जिसके उद्घाटन कर्ता सेठ महेन्द्रकुमार प्रतापराय थे तथा अनावरण विधि कर्ता था सेठ माणेकलाल चुनीलाल ।
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