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मुंबई के जैन मन्दिर
यहाँ भव्य उपासरा, खेताजी धन्नाजी व्याख्यान भवन, गोडवाल ओसवाल जैन पाठशाला, श्री गोडवाल ओसवाल जैन महिला मंडल, श्री जैन युवा मण्डल भी सक्रिय हैं।
(४५) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय
२१०, गुलालवाडी कीका स्ट्रीट, मुंबई-४०० ००२.
टे. फोन : ऑ. ३७५ ५५ ७४, मोहनलालजी-२०५५१४६ विशेष :- श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान जैन देरासर ट्रस्ट द्वारा संचालित इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा वि.सं. १८७८ का श्रावण वद ५ को हुई थी। वि. सं. २०१० का श्रावण वद १ रविवार को महावीर स्वामी वगैरह प्रतिमाजी अंजनशलाका की हुई बिराजमान है। इस मन्दिरजी के संचालन में विशेष रुप से राजस्थानी भाईयों का सहयोग है। मन्दिरजी के नीचे ऑफिस हॉल में श्री जिन कुशल सूरीश्वरजी म. व अनेक देवी-देवता की भव्य प्रतिमाजी बिराजमान है।
मन्दिरजी में आरस की कुल ५० प्रतिमाजी, पंचधातु की ६७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-४६, चान्दी की प्रतिमाजी तथा एक सिद्धचक्रजी है। मन्दिरजी की दिवारों में प्राचीन काल में आरस पर बनाये गये शत्रुजय तीर्थ अष्टापद तीर्थ वगैरह सुशोभित है।
यहाँ चिन्तामणि हितवर्धक युवक मण्डल है। पूजा करने आनेवाले महानुभावो के लिये नहाने की भी व्यवस्था है। भरचक ऐरीये में होने से दर्शन-पूजा करने वाले भाई-बहनो की भीड लगी रहती हैं।
विजय वल्लभ चौक - पायधुनी - झव्हेरी बाजार सारे शहर में यह स्थान बड़ा ही लोकप्रिय हैं। यहाँ के पांचो शिखरबंदी जिनालय प्राचीन हैं अत: पंचतीर्थी तुल्य समजकर भविजन खुशीयाली में झुम जाते है । प्राचीनकाल से आज दिन तक यह धर्म भूमि के लिये अग्रस्थान हैं। (४६) श्री गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय
१२, विजय वल्लभ चौक - पायधुनी, मुंबई-४०० ००३. टे. फोन : ऑ. ३४६ ३१५६, ३४७ ४६ ३९, २०५ ९३ ३३, ३८२ १०५६ पुष्पसेनभाई,
३८५ ०८ ७० अरविन्दभाई, ३६७१३ १३ गिरिशभाई विशेष:- मोतीशाह सेठ के चचैरभाई श्री भाईदासने पायधुनी पर श्री गोडीजी पार्श्वनाथ जिनालय का निर्माण कराया। मोतीशा को गोडीजी पार्श्वनाथ पर अति श्रद्धा और निष्ठा थी, इसीलिये आपने अपने वसीयत नामे पर भी सर्व प्रथम श्री गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान का नाम लिखा था । सेठ प्रतापमलजी जोईतादासजी मोतीशा सेठ के मामाजी थे जो खंभात के निवासी थे।
बम्बई का यह चौथे नंबर का प्राचीन मंदिर हैं। यह लकड़ीयों द्वारा बनाया गया जिन मन्दिर था,
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