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मुंबई के जैन मन्दिर
श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर कीकाभाई बिल्डींग, पहला माला, (मोर लेण्ड रोड), मोहम्मद शहीद मार्ग, आग्रीपाडा,
मुंबई - ४०० ०११. टे. फोन : ३०७ २२ ६१ - हिमतमलजी, ३०९ १३ ९७ उमेदमलजी विशेष :- परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. की निश्रा में जोगेश्वरी पारसनगर के महावीर स्वामी जिनालय में वि.सं.२०३५ का जेठ सुद २ को अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी यहाँ बिराजमान हैं।
स्वर्गीय शा. छोगमलजी रतनचन्दजी भूताजी की ओर से खात मुहूर्त तथा भाग्यवंती केसरीमलजी रुपचन्दजी संघवी द्वारा छत्री का उद्घाटन हुआ था।
मन्दिरजी में मूलनायकजी श्री वासुपूज्य स्वामी श्यामरंग के तथा श्री शंखेश्वर प्रभु व श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ प्रभु श्वेत आरस के ३ प्रतिमाजी, पंच धातु के ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। रंग रंगीले कांच के टूकडो द्वारा दिवार व छत की सुन्दरता में चार चाँद लगा दिये हैं।
लोअर परेल (पश्चिम) वरली विभाग (७२)
श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर सनमील गली, सीताराम जाधव मार्ग, १२९ जैन भवन, पहला माला,
लोअर परेल स्टेशन (प.) वरली, मुंबई - ४०० ०१३. टे. फोन : वेलजीभाई - ४९२ ६० ९०, फतेहचंदजी - ४९२ ४९५५ विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वरजी म. के शिष्य पू. मुनिराज श्री यशोविजयजी म. एवं उनके शिष्य पू. मुनिराज श्री जयानन्दविजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०२५ का जेठ वद १० सोमवार को ता. ९-६-७८ को चेम्बुर तीर्थ से लाई हुई श्री शांतिनाथजी आदि प्रतिमाजी की चल प्रतिष्ठा हुई थी। इसके बाद देव देवीयो की प्रतिष्ठा वि.सं. २०४१ का जेठ वद १२ ता. १३-६-८५ गुरुवार को आचार्य श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म. आ. श्री विजयमहानन्दसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में हुई थी।
यहाँ आरसकी ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री घंटाकर्ण वीर, श्री पद्मावती देवी, श्री गरुड यक्ष, श्री निर्वाणी देवी, पावापुरी शोकेस तथा दिवार पर श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेतशिखरजी एवं श्री गिरनारजी तीर्थ दर्शनीय है।
यहाँ श्री उपासरा, श्री शांतिनाथजी जैन पाठशाला, श्री शांतिनाथ महिला मंडल, श्री लोअर परेल युवक मण्डल भक्तिभाव की प्रवृति में सक्रिय हैं। प्रति शनिवार को जिनालय में भक्ति भावना का ठाठ रहता हैं।
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