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मुंबई के जैन मन्दिर
(४४४)
श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर रामनगर, श्री गुरूमऊली छाया, पहला माला, चित्तरंजन दास रोड,
डोंबीवली (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन नं.-९११-४४८ ७०० - नेमजीभाई, ९११-४५२ ४८० - मावजी लालजी मारू
विशेष :- श्री पार्श्वचन्द्र गच्छ जैन संघ द्वारा निर्मित उपाश्रय का उद्घाटन परम पूज्य मुनिराज श्री सुयशचंद्रजी म. साहेबजी के शिष्य मुनिराज श्री पूर्णयशचंद्रजी आदि थाणा - ३ की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४८ का आषाढ सुदि ६, ता. ५-७-९२ को श्रीमान संघ सेवक गांगजी भाई के कर कमलो द्वारा हुआ था।
गृह मंदिर व गुरू मन्दिर की चल प्रतिष्ठा पार्श्वचंद्रगछीय सा. श्री ॐकारश्रीजी म. की शुभ प्रेरणा से पूज्य मुनिराज श्री पद्मयशचन्द्रजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४९ का मगसर सुदि १० को हुई थी। यहाँ के गृह मन्दिर में पंचधातु की श्री शान्तिनाथ प्रभु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १, तांबे का यंत्र - १ सुशोभित हैं। इसके बाजू में ही गुरु मन्दिर में पू. दादा गुरूदेव श्री पार्श्वचंद्रसूरिजी म. की गुरु प्रतिमाजी तथा मुनि श्री कुशलचंद्रजी महाराज, श्री भावचंद्रजी महाराज, श्री सुयशचन्द्रजी म. की चरण पादुकाएँ सुशोभित हैं। उपाश्रय हॉल में शत्रुजय व सम्मेत शिखरजी के पट भी दर्शनीय हैं।
यहाँ मातुश्री हीरबाई जेसींगभाई हीरजी गडा स्मरणार्थे (नाना भाडीया) स्वाध्याय खंड, श्री प्रेमजी वीरजी परिवार (नानी खाखर) भक्ति खंड, स्व. कीर्तिकुमार शामजी रतनजी गडा स्मरणार्थे मातुश्री सुंदरबन शामजी एवं सुपुत्रो (गाम नवावास) उपाश्रय की लादी के मुख्य दाता हैं। श्री लक्ष्मीबेन हीरजी करमशी छेडा विविधलक्षी हॉल (गाम - पूर्जा ता. २०-३-९४)
मातुश्री विमलाबेन लालजी यनाभाई (गाम - कांडागरावाला) आयंबिल भवन, श्री दीपककुमार लालजी यनाभाई (गाम - कांडागरावाला) जैन पाठशाला । मातुश्री लाछबाई कुंवरजी करमशी देढिया (गाम - नानीखाखर ) श्री पार्श्वचंद्र जैन संघ - उपाश्रय डोंबीवली (पूर्व) की व्यवस्था हैं।
(४४५) श्री सुविधिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय नवजीवन होस्पीटल के पीछे, मानपाडा रोड, डोंबीवली (पूर्व), जिला - थाणा, महाराष्ट्र. टेलिफोन नं.- ९११-४५७ ३१८, ४७३ ७६८, ४४७ ९०२ (घर) प्रेमजी भाई, ९११-४४३
४३६, ४४८ ६४०, ४४८ ३८९ - कुलिनकांत भाई विशेष :- श्री अंचलगच्छ जैन संघ - डोंबीवली द्वारा सर्वप्रथम यहाँ परम पूज्य अचलगच्छाधिपति श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि
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