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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर शुभ प्रेरणा से वि.सं. २०२९ का वैशाख वद - ६ को इस जिनालय की स्थापना हुई थी। उसके बाद श्री शान्तिलाल पोपटलाल चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा वि.सं. २०३२ का माह वद - ६ को प.पू. सिद्धान्तनिष्ठ आ. भ. श्री प्रतापसूरीश्वरजी म.सा. और प.पू. युगदिवाकर आ. भ. श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई थी। मूलनायक ३१" सहित पाषाण की ७ प्रतिमाजी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ६, अष्टमंगल - २ तथा वीशस्थानक - १ सुशोभित है। दिवार पर कांच के कलात्मक दृश्यो में शत्रुजय तीर्थ २४ तीर्थंकरो के फोटू एवं श्री गौतम स्वामीजी, श्री सिद्धचक्रजी, पद्मावती, सरस्वती, लक्ष्मी, अंबिका, चक्रेश्वरी के फोटो भी आकर्षक है। (१७) श्री गोडी पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर कमला निकेतन, पहला माला, नारायण दाभोलकर रोड, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६९३३ २८, ३६७५५०३, ३६४०३९६ विशेष :- परम पूज्य पंन्यास भगवन्त अभयसागरजी म. के शिष्य आ. विजय अशोकसागरसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन निश्रा में वि.सं. २०५२ का दूसरा आषाढ सुद - १० को चल प्रतिष्ठा हुई थी। प्रतिमाजी भरानेवाले, चल प्रतिष्ठा करानेवाले सेठ श्री कीर्तिलाल पोपटलाल शाह ने अपने निवास स्थान पर भगवान की स्थापना की हैं। यहाँ गोडी पार्श्वनाथ प्रभुकी पंच धातु की १ प्रतिमाजी, वीशस्थानक - १ सुशोभित हैं। (१८) श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर कमला निकेतन, दूसरा माला, नारायण दाभोलकर रोड, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६४८१६६, ३६९२६४६ विशेष :- इस मन्दिर की स्थापना प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा व आशीर्वाद से हुई थी, और परम पूज्य सिद्धान्त महोदधि प्रेमसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०३४ का माह वद ५ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पंच धातु की चौविशी - १ सिद्धचक्रजी-१, अष्ट मंगल - १ तथा दिवार पर शत्रुजय शोभायमान हैं । इस गृहमन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रीमानजी श्रेष्ठिवर्य श्री सेठ केशवलाल मोहनलाल है। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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