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मुंबई के जैन मन्दिर
१४१
परम पूज्य आ. भ. श्री विजयोदय सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय मेरुप्रभ सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वर्तमान चोवीशी की देवकुलिकाओं की भव्य अंजनशलाका व प्रतिष्ठा वि.सं. २०३३ का मगसर सुदी-१५ सोमवार ता. ६-१२-७६ को हुई थी।
नीचे मूल गंभारे में व पीछे के विभाग में १९ पाषाण की प्रतिमा तथा उपर कुल ५२ प्रतिमाजी, पाषाण की कुल ७१ प्रतिमाजी, पंचधातु की प्रतिमाजी-सिद्धचक्रजी व अष्टमंगल २१ का अंदाजा है।
जिनालय में आरस पर बनाये तीर्थो में श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेत शिखरजी, श्री पावापुरी जलमन्दिर व श्री शंखेश्वर तीर्थ शोभायमान हैं। मन्दिरजी के पीछे की ओर श्री मणिभद्रवीर, श्री लक्ष्मीदेवी, श्री सरस्वती देवी बिराजमान हैं।
जिनालय के पास एक शत्रुजय पट्ट पहाड के दृश्य के समान बनाया गया है तथा आ. विजय धर्म धुरंधर सूरीश्वरजी म. आ. विजय मेरुप्रभ सूरीश्वरजी म. की गुरुप्रतिमाजी दर्शनीय हैं। दूसरी तरफ श्री जगतचंद्रसूरीश्वरजी, श्री सुधर्मा स्वामी तथा श्री वृद्धिचन्द्रजी महाराज की गुरु प्रतिमाजी बिराजमान है।
यहाँ भव्य दो उपासरा, व्याख्यान हॉल, आयंबिल शाला, पाठशाला तथा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ चरणोपासिका मंडल, पारसमणि विरति मंडल, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ दौलत नगर महिला स्नात्र मंडल, श्री जिन दर्शन मंडल और श्री जैन युवक मंडल आदि संस्थाओं की व्यवस्था हैं।
विशेष : प्रत्येक महिने की सुद-वद १० और १५ के दिन भाता की व्यवस्था हैं।
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श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर भणशाली बिल्डिंग, दूसरा माला नं. २७, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय, दौलत नगर के पीछे, बोरीवली (पूर्व), मुंबई-४०० ०६६.
टे. फोन : ८०५ ७८०९ विशेष :- परम पूज्य आचार्य विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. के शिष्य आचार्य भगवंत विजय जयकुंजर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रामें वि.सं. २०५१ जेठ सुद-१० को चल प्रतिष्ठा हुई थी।
यहाँ के सुन्दर गृहमन्दिर में मूलनायक आदीश्वर भगवान की पाषाण की एक प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी-१ तथा अष्टमंगल-१ बिराजमान हैं।
इस गृहमन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक धर्मप्रेमी सेठ श्री रमणलाल गोरधनलाल शाह गवाडावाले हैं।
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