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मुंबई के जैन मन्दिर
श्री संघ और जिनालयके प्रेरक प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के गुरू मंदिर का निर्माण प. पू. आ. भ. श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से हुआ हैं।
जिनालय के प्रणेता प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. ने प्रतिष्ठा के समय भविष्य को दृष्टि में रखते हुए भावि कथन किया था कि मुंबई के पश्चिम विभाग में श्री मुनिसुव्रतस्वामी प्रभु का यह महाजिनालय, आगाशी तीर्थ के बाद दूसरे नंबर का यात्राधाम हो जायगा । आज हम यह आर्ष द्रष्टा गुरूदेव की वाणी को प्रत्यक्ष सिद्ध देख रहे हैं। हमेशा और विशेष रुपसे शनिवार को हजारो भक्त यहाँ यात्रा करने के लिये आते हैं। उनके लिये भाता की भी व्यवस्था की गई हैं। यहां प. पू. आ.भ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से आराधना हॉल और प.पू.आ.भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से श्राविका उपाश्रय का निर्माण हुआ है।
प्रतिवर्ष यहाँ वैशाख सुदि-१५ के दिन सालगिरि महोत्सव मनाया जाता हैं और उस दिन कायमी साधर्मिक वात्सल्य का आदेश प. पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से श्री पन्नालाल लीलाचन्द गुंदर वालो के परिवार ने लिया हैं। इस तरह पर्युषण महा पर्वाराधना के बाद में साधर्मिक वात्सल्य का कायमी लाभ का आदेश पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से श्री अशोकभाई नानाभाई मरचन्ट परिवार ने लिया हैं।
यहाँ विशाल दो उपाश्रय, आयंबिल भवन, श्री लक्ष्मणसूरि जैन पाठशाला, श्री मुनिसुव्रत प्रतापधर्म सामायिक मण्डल, श्री स्नात्र मंडल, श्री कांदिवली जैन युवक मंडल विद्यमान हैं।
आजकाल दोनो उपाश्रय के प्रवेश के स्थान में पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से पू. युग दिवाकर गुरुदेव के पुण्य स्मारक रूप में धर्मद्वार का मनोहर निर्माण हो रहा हैं । आपकी निश्रामें २०५२ के चातुर्मास बाद भव्य अंजनशलाका-दीक्षा - उपधान तप का बडा महोत्सव ठाठ से हुआ था।
(१९५) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर इराणी वाडी, शन्तिलाल मोदी क्रॉस रोड नं. २, ग्राउन्ड फ्लोर,
कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : (ओ.) ८०५ ७९ ४९ भोगीलालभाई अमृतलाल - ८०१ ७० ४१
विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय भक्ति सूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य विजय लब्धिसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में. वि. सं. २०४० का वैशाख वद-३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी।
इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री वर्धमान भक्ति श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा आजू बाजू में श्री ऋषभ देव प्रभु एवं श्री महावीर प्रभु बिराजमान हैं। ये तीनो पाषाण की प्रतिमाजी, पंच धातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ५ तथा श्री गौतम
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