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मुंबई के जैन मन्दिर
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गोखलाओं में बिराजमान ६ प्रतिमाजी और चौमुख में बिराजे ३ प्रतिमाजी और घंटाकर्ण यक्ष देव की मूर्ति अम्बालाल नगीनदास भाखरीया की तरफ से भेट मिले थे वि.सं. २००८ को,उपर चौमुख में बिराजे हुए प्रभु में से श्री पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमाजी स्व. मातुश्री कुंवरबहन वृजलाल माणेकचन्द की तरफसे वि.सं. २००८ में श्री संघ को भेट दिया था।
इसके अलावा श्री गौतम स्वामी, श्री सुधर्मा स्वामी, पावापुरी शोकेस के साथ श्री महाकाली, श्री पद्मावती, श्री चक्रेश्वरी, श्री प्रचण्डा माताजी तथा सुकुमार यक्ष एवं बाहर की ओर श्री घंटाकर्ण वीर का अलग मन्दिर हैं।
जिनालय में शत्रुजय तीर्थ, गिरनार तीर्थ, सम्मेत शिखर तीर्थ श्री नंदीश्वर द्वीप के अलावा छोटेबडे तीर्थो के द्दश्य भी दर्शनीय है।
श्री वासुपूज्य स्वामी जिनालय से जुड़े हुए दो नव निर्मित जिनालय और नौ देवी-देवताओं की नौ देहरीयाँ निर्माण होने पर परम पूज्य शासन सम्राट श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय अशोकचन्द्रसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय सोमचन्द्र सूरीश्वरजी म. तथा अंचलगच्छ के जैनाचार्य आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. एवं विशाल साधु-साध्वीजी भगवन्तो की पावन निश्रा में अंजनशलाका वीर सं. २५२४ वि.सं. २०५४ का मगसर वदि १०, ता. २४-१२-९७, बुधवार को तथा प्रतिष्ठा महोत्सव वि.सं. २०५४ का मगसर वदि ११, ता. २५-१२-९७ को सम्पन्न हुआ था।
नूतन प्रतिष्ठा होने के बाद प्रतिमाजी परिवार इस प्रकार हैं : मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी के गंभारे में श्यामवर्ण के श्री नेमिनाथ भगवान एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी सहित पाषाण के ५ प्रतिमाजी, पंचधातु के ७ प्रतिमाजी, ४ सिद्धचक्रजी, २ वीसस्थानक, १ अष्टमंगल के अलावा उपर के गंभारे में चऊमुखी प्रतिमाजी श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री आदिनाथ प्रभु, श्री पद्मप्रभ स्वामी, श्री धर्मनाथ तथा एक तरफ कल्पद्रुम पार्श्वनाथ सहित श्री पुंडरीक स्वामी मिलकर कुल ६ प्रतिमाजी के साथ कुल ११ प्रतिमाजी सुशोभित हैं। मूलनायक सच्चादेव श्री सुमतिनाथ प्रभु मूल गंभारे में बिराजमान हैं तथा रंग मंडप में श्री केसरीया आदिनाथ और दूसरी तरफ श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी के साथ पाषाण के ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के १२ प्रतिमाजी, ४ सिद्धचक्रजी, ५ यंत्र बिराजमान हैं। सच्चादेव श्री सुमतिनाथ प्रभु के मूल गंभारे के उपर के भाग में श्री सीमन्धर स्वामी की १ प्रतिमाजी बिराजमान हैं कुल चार प्रतिमाजी हुई आरस की।
श्री शंखेवर पार्श्वनाथ प्रभु मूल गंभारे में मूलनायकजी तथा श्री मंगल पार्श्वनाथ प्रभु एवं श्री कल्याण पार्श्वनाथ प्रभु सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी तथा रंगमंडप में एक तरफ देहरी में ३ प्रतिमाजी, दूसरी तरफ देहरी में ३ प्रतिमाजी तथा उपर नेमिनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी सहित कुल १२ प्रतिमाजी आरस की बिराजमान हैं।
नूतन
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