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मुंबई के जैन मन्दिर
२८१
श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, वीसस्थानक - १, अष्टमंगल - १, यन्त्र - १ तथा शत्रुजय पट एवं यक्ष - यक्षिणी बिराजमान हैं।
श्री संघ की आराधना के लिये भव्य आराधना भवन की व्यवस्था हैं। आ. श्री विजय ललित शेखर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में शिलान्यास वि. सं. २०४० का ता. २२-२-८४, बुधवार को सेठ रामजी मेघजी गुढका द्वारा हुआ था। इसका उद्घाटन वि. सं. २०४१ का ता. ८-३-८५, शुक्रवार को सेठ मेघजी जेठाभाई देढिया तथा श्रीमती हेमाबेन मेघजी देढिया द्वारा हुआ था। श्री हालारी विशा ओसवाल श्वेताम्बर मूर्तिपूजक आयंबिल शाला व जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं।
श्री जैन महिला मंडल एवं श्री हालारी वीशा ओसवाल सेवा दल की सेवाएँ विशेष प्रशंसनीय हैं।
(४२८) श्री सुविधिनाथ भगवान भव्य सामरणबद्ध जिनालय जयमंगल साइजींग, २७२, रामसन्स भवन, ग्राउन्ड फ्लोर, तेलीपाडा, आग्रा रोड,
भीवण्डी. जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन नं. :- ९१३ - ३१३६६, ३२८६५ (ओ.). ५१६ ०२ ४६, ५१५५९६० (घर)
रामजीभाई गुढका, महेन्द्रभाई, चंदनभाई विशेष :- श्री सुविधिनाथ जैन देरासर ट्रस्ट ह. श्री रामजी मेघजी गूढका इस भव्य सामरणबद्ध जिनालय के निर्माता हैं । इस रमणीय जिनालय का भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव, पूज्य पाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के समुदाय के शतावधानी परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. सा., प.पू. विद्वद्वर्य आचार्य भगवंत श्री विजय महानन्द सूरीश्वरजी म.सा. और प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रेरक प. पू. विद्वान वक्ता आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. आदि विशाल साधु - साध्वी समुदाय की पुण्य निश्रा में वि. सं. २०४१, वैशाख सुदि ११, बुधवार, ता. १-५-८५ को हुआ था. उस समय युग. आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. के समुदाय के साध्वीजी श्रीनम्रदर्शिताश्रीजी म. की बडी दीक्षा भी धाम - धूम से हुई थी।
श्री रामजीभाई गुढकाने सर्व प्रथम अपने निवास स्थानमें एक कमरे में गृहजिनालय बनाकर उसमें वि.सं. २०३३ में प.पू. पं. श्री जिनेन्द्र विजयजी म. की निश्रा में श्री महावीर स्वामीजी २१" की प्रतिमा बनाकर स्थापना की थी, बाद में वि.सं. २०३४ में. प.पू. आ.भ. श्री विजय चन्द्रोदय सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में मुलुण्ड में मूलनायकजी आदि प्रतिमाओकी अंजनशलाका कराकर भीवण्डी में अपने गृहजिनालय में उसी वर्ष में उन प्रतिमाओका प्रवेश कराया था.
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