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'मुम्बई के जैन मन्दिर' आवृत्ति-२ को लिखनेका श्री गणेश करने के लिए आ. श्री इन्ददिन्नसूरीश्वरजी म. सा. से प्रथम आर्शीवाद प्राप्त करते हुए लेखक
काश,
इस थैली और लकडी का
सहारा न होता
तो यह पुस्तक लिख न पाता लेखक
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