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मुंबई के जैन मन्दिर
२७१
- इस भव्य जिनालय का संचालन श्री ऋषभदेव महाराज जैन टेम्पल ज्ञाति ट्रस्ट - थाणा द्वारा हो
मन्दिरजी में उपर नीचे आरस की २० प्रतिमाजी, आरस का बनाया हुआ श्री सिद्धचक्रजी नवपद यन्त्र सुशोभित हैं। चारो तरफ दिवारो में श्रीपाल महाराजा का जीवन चरित्र, आ. श्री हेमचन्द्राचार्य
और महाराजा सिद्धराज जयसिंह और कुमारपाल महाराजा का जीवन चरित्र,, विक्रमादित्य के क्रान्तिकारक गुरुदेव श्री कालक सूरि, श्री सिद्धसेन दिवाकर चरित्र, श्री शय्यंभवसूरि, रत्नसूरि चरित्र, अकबर प्रतिबोधक श्री हीरसूरीश्वरजी म. चरित्र, सम्प्रति महाराजा चरित्र, श्रेणिक महाराजा चरित्र ये सभी चित्र पत्थर की खुदाई पर बनाये हैं। चित्रो के नीचे परिचय भी लिखा हुआ हैं । मन्दिर के साइड में श्री मणिभद्र सभागृह के एक कमरे में पंचधातु की २५ प्रतिमाजी, पद्मावतीदेवी की २ प्रतिमाजी तथा एक तरफ परम पूज्य आ. भगवन्त श्री वल्लभसूरीश्वरजी म. की आरस की प्रतिमाजी बिराजमान हैं।
मन्दीरजी की मुख्य शणगार चौकी के उपर, दूर से दृश्यमान आ. श्री जिनऋद्धिसूरीश्वरजी म. और आ. श्री प्रतापसूरीश्वरजी म. की आरस की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। मन्दिरजी के द्वार पर दो बाजू दो बडा बडा हस्ती दर्शनार्थीओं का स्वागत करता हैं। ___मन्दिरजी में प्रवेश करते समय जिस द्वार से प्रवेश करते हैं, वो उपाश्रय चार मन्जिल का भवन हैं । ग्राऊण्ड फ्लोर पर कार्यालय तथा साधु-साध्वीजी महाराजाओं का भिन्न भिन्न उपाश्रय तथा व्याख्यान भवन हैं। दोनो लिफ्ट का उपयोग ४ माले तक गमनागमन के लिये होता हैं।
यहाँ की मुख्य संस्थाओं में श्री सिद्धचक्र जैन नवयुवक मंडल, श्री महावीर मण्डल, श्री अभिनन्दन मण्डल, श्री वर्धमान मण्डल, श्री मुनिसुव्रत स्वामी महिला मण्डल, श्री राजस्थान पार्श्व महिला मण्डल, श्री केसरीया गुण महिला मण्डल, श्री आदिनाथ महिला मण्डल, श्री चंद्रप्रभ स्वामी महिला मण्डल, एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी पाठशाला का संचालन खुब सुन्दर ढंग से हो रहा हैं।
(४१०) श्री शान्तिनाथ भगवान गृहमन्दिर शान्तिधाम
वीर सावरकर चौक, चितलसर, घोडबंदर रोड, मानपाडा. जि. थाणा-४०० ६०७. टे. फोन : (ऑ.) ५४१ १७०३ के.के. संघवी, ऑ. ५३४ ०७ २४, घर : ५४७ ८३ ०६
विशेष :- इस मन्दिरजी का संचालन श्री शान्तिनाथ मन्दिर ट्रस्ट कर रहा हैं। इस मन्दिर व उपाश्रय का निर्माण राजस्थान के आहोरगाँव के निवासी तथा मुंबई - थाणा क्षेत्र के सुप्रसिद्ध सेठ श्री श्रीमाल वर्धमान गोत्रीय संघवी श्री कुंदनमलजी भूताजी के सुपुत्र शा. जुगराजजी एवं कान्तिलालजी आदि सपरिवारवालों के सहयोग से मातुश्री मोवनबाई के आत्मश्रेयार्थ हुआ हैं।
इसकी चल प्रतिष्ठा परम पूज्य श्रीमद् आ. श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के साहित्य मनीषी श्रीमद् आ. श्री जयन्तसेनसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४९ का माह सुदि १३, शुक्रवार, ता. ५-२-९३ को धुम-धाम के साथ हुई थी।
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