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मुंबई के जैन मन्दिर
१६३
उपाश्रय हॉल की व्यवस्था हैं। बारोमास हर पूर्णिमा को यात्रियों को यहाँ भाता देने की व्यवस्था मन्दिर के निर्माता श्री आर.टी. शाह की तरफ से चलती हैं।
भायन्दर (पूर्व) (२६३) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय पार्श्व कीर्ति लेन, बालाराम पाटील रोड, भायन्दर (पूर्व) जि. थाणा (महाराष्ट्र)
टेलिफोन नं. ८१९ ४७ ७० - हसमुखभाई, ८१९ ४७ ७१ - महेशभाई विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा वि.सं. २०३५ का जेठ सुदि १४ शनिवार ता. ९-६-७९ को परम पूज्य आचार्य विजय लब्धि - लक्ष्मण के शिशु आ. विजय कीर्तिचन्द्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में हुई थी।
उसके बाद शिखरबंदी जिनालय का निर्माण आ. विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से हुआ था तथा उन्हीं की पावन निश्रा में वि.सं. २०४३ का वैशाख सुदि १५ बुधवार ता. १३-५८७ को भव्य प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी।
यहाँ पाषाण की ११ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, ४ सिध्धचक्रजी, विशस्थानक-१, अष्टमंगल-१ के अलावा श्री नाकोडा भैरुजी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री मणिभद्रवीर, पार्श्वयक्ष, पद्मावती देवी तथा शासनदेवी बिराजमान हैं। धरणेन्द्र-पद्मावती श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ फोटो, शत्रुजय फोटो, गिरनार पट, श्री सम्मेत शिखर पट भी दर्शनीय हैं।
यहाँ उपासरा तथा ऑलियो के दिनो में आयंबिल की व्यवस्था हैं। श्री शंखेश्वर महिला मंडल, श्री शंखेश्वर नवयुवक मंडल की व्यवस्था हैं।
(२६४)
श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर बी-४, दलवी चाल, ग्राऊन्ड फ्लोर, नवधर रोड, भायन्दर (पूर्व),
जि. थाणा (महाराष्ट्र) टे.-हरेशभाई-८१८५१ २८, लहेरचन्दभाई-८१८ ३३ ४४, महेन्द्रभाई-८१८ ३४ ६३
विशेष :- श्री नवधर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा वि.सं. २०४७ का आषाढ सुदि-३ रविवार ता. १७-७-९१ को हुई थी। परम पूज्य मुनिराज श्री यशोरत्न विजयजी म. की प्रेरणा से मन्दिरजी की स्थापना हुई थी।
यहाँ के घर मन्दिर में पंच धातु की श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ और श्री शान्तिनाथ भगवान को दो प्रतिमाजी मेहमान के रुप में विराजमान हैं। साथ में सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ भी सुशोभित हैं।
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