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मुंबई के जैन मन्दिर
पधारे और आपका तथा अनेक भाग्यवानो के वर्षीतप के पारणा यहाँ अति उत्साह और महामहोत्सव पूर्वक सम्पन्न हुआ और आपका चातुर्मास यहाँ हुआ। तब से वालकेश्वर और समस्त मुंबई महानगर में चारो तरफ धर्म रंग की किरणे प्रसारित होने लगी।
भूलेश्वर - लालबाग की पांच मंजिली आलीशान जैन धर्मशाला, जैन भोजनशाला, जैन क्लीनीक के निर्माण का श्री गणेश यहीं से उस वर्ष में हुआ। यहाँ आपश्री ने वि.सं. २०१६ से २०३२ तक कभी कभी चातुर्मास तथा शेषकाल में स्थिरता करके जिनवाणी का बादल बरसाया। दीक्षा -अंजनशलाकाप्रतिष्ठा आदि अनेक महान कार्यो कराये।
आपश्री की प्रभावक निश्रा में वि.सं. २०१८ में जिनालय के उपर के माले पर श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी और श्री नेमनाथ स्वामी का अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव, सं. २०१९ में श्री सीमन्धर स्वामीजी, श्री पुंडरीक स्वामीजी, श्री गौतम स्वामीजी तथा श्री पद्मावती देवी, श्री सरस्वती देवी, श्री लक्ष्मीदेवी का भव्य अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव एवं वि.सं. २०२९ में श्री महावीर स्वामी चोविशी (पाषाण की) श्री विघ्नहर पार्श्वनाथजी तथा श्री घंटाकर्ण देव का अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था। वि.सं. २०१७ - १८-१९-२०-३०-३१-३२ में उपधान तप की महान आराधनाएँ और भव्य उजमणा - उद्यापनो आपश्रीकी निश्रा में हुए उसका मार्गदर्शन पू. आ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. और पू.
आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. (उस समय दोनो मुनिराज) करते थे। आपकी पुण्य प्रेरणा से यहाँ कायमी वर्धमान तप आयंबिल खाता और जैन पाठशाला की स्थापना हुई।
जैन साधर्मिको के उद्धार के लिये अनेक कार्य हुए। वि.सं. २०१६ में जैन उद्योग गृह की स्थापना हुई। लाखो - करोडो रुपयो के सात क्षेत्रो के और अनुकंपा, जीवदया पांजरापोलो के कार्य यहाँ से आपने कराया था। वालकेश्वर के धनविस्तार को आपश्रीने धर्म विस्तार बनाया। लक्ष्मीनंदनो को आपश्रीने प्रभु भक्तो बनाया। लाखो जैनोको जैन आचारो और संस्कारो का पान आपश्री ने यहाँ से कराया था। जिनालय में चित्रपटो, बोधक प्रसंगो, जैन धर्म के सिद्धान्तो को प्रदर्शित करनेवाले सुन्दर चित्रो के कार्य आपकी निश्रामें आपश्रीकी प्रेरणा व मार्गदर्शनसे उसी वर्षों में हुआ है । तीर्थंकरो एवं महापुरुषो के ऐतिहासिक जीवन के दृश्यो से पुरी दिवार भी चित्रित की गयी हैं । समस्त जिनालय को नया रुप धारण कराया गया था।
'युगदिवाकर' पद-प्रदान वि. सं. २०२०, माह मासमें शुदि ५ के दिन वालकेश्वर में उपधान तप मालारोपण के महान अवसर पर, विराट महोत्सव मंडप में, भव्य समारोह में हजारो के विराट जनसमूह के बीच, वालकेश्वर बाबु अमीचन्द पन्नालाल श्री आदीश्वर जिनालय ट्रस्ट और वालकेश्वर एवं मुम्बई महानगर - उपनगरो के समस्त संघोने मिलकर, महानगर के जैन संघो पर उपकारो की अपूर्व वर्षा करनेवाले पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. को बडे ठाठ से 'युगदिवाकर' पद प्रदान करके आपश्रीका अपूर्व गौरव और श्रेष्ठ बहुमान किया था, तब से लेकर आज तक हजारो - लाखो की जैन
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