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मुंबई के जैन मन्दिर
इस जिनालय में आरस की १ प्रतिमाजी, पंचधातु ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ के अलावा श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेत शिखर तीर्थ, श्री राणकपुर तीर्थ वगैरह जिनालय में सुशोभित हैं।
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श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर ४३, आराम नगर नं. १, समीर व्हीडीयो के बाजू मे, वेल्फेर स्कूल के पास,
__गार्डन बस स्टोप, सात बंगला, अंधेरी (प.) मुंबई - ४०० ०६१. टे. फोन : ६२६ १० ६५, ६२९ २४ २१ कांति सावला, ६२६ ९४ ५७, ६२६ ५८ ३५ हरेश शाह
विशेष :- श्री वर्मोवा श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ अंधेरी (प.) के पुण्यबल से नूतन जिनालय बनाने के लिये प्लोट कच्छ गाँव भोजाय के अ. सौ. रतनबेन गांगजी प्रेमजी पासड परिवार के भाव से भेट मिला हैं। जिसकी शिला स्थापन की विधि वि.सं. २०५३ का मागसर सुद ४ शुक्रवार ता. १३-१२-९६ को हुई थी।
परम पूज्य शासन प्रभावक आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वर समुदाय के प. पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की पावन निश्रा में श्री संभवनाथ ३१" आदि जिनबिंबो की अंजन शलाकाविधि वि. सं. २०५३ का माह सुद - १ शनिवार ता. ८-२-१९९७ को कांदिवली (प.) श्री मुनिसुव्रतस्वामी जिनालय में हुई थी।
भगवान का नगर प्रवेश वि. सं. २०५३ का माह सुद १३ बुधवार ता. १९-२-१९९७ को परम पूज्य मुनिराज श्री पुण्योदय सागरजी म. की निश्रा में हुआ था।
प्रतिष्ठा साहित्य दिवाकर अचलगच्छ समुदाय के आचार्य कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५३ का वैशाख सुद ६ सोमवार तारीख ११-२-९७ को धाम - धूम के साथ नौ दिन के महोत्सव के साथ सम्पन्न हुई थी।
यहाँ के जिनालय में मूलनायक श्री संभवनाथ ३१ तथा आजुबाजु में श्री मुनिसुव्रत स्वामी २५, श्री पार्श्वनाथ २५ की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ के साथ श्री गौतम स्वामी, श्री पद्मावती देवी, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री त्रिमुख यक्ष, श्री दुरितारि देवी, श्री प्रासाद देवी भी दर्शनीय हैं।
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श्री चंद्रप्रभ स्वामी भगवान गृह मन्दिर सीसेल बिल्डींग बी के ग्राउन्ड फ्लोर, स्वामी समर्थ रोड, क्रॉस नं. ३, लोखण्डवाला
कॉम्पलेक्ष, मेन रोड, अंधेरी (प.) मुंबई - ५३. टे. फोन : हेमराजजी - ६२९ २२ ९४ जयन्तीभाई - ६२६ २०७३ विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय श्री नेमि - विज्ञान - कस्तूरसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी आदि मुनि भगवन्तो शुभ निश्रा में अजंन शलाका की हुई
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