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मुंबई के जैन मन्दिर
आरस की चन्द्रप्रभ स्वामीजी की मूलनायक प्रतिमाजी बिराजमान हैं। चलप्रतिष्ठा वि. सं. २०४३ का माह वद १० को हुई थी। इस आरस की एक प्रतिमाजी के साथ पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ तथा अष्टमंगल - १ शोभायमान हैं।
श्रीमती पुष्पाबेन की अध्यक्षता में श्री चंद्रप्रभ महिला मण्डल पूजा भावना में अग्रसर हैं।
अंधेरी (पूर्व) (१३२) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय सर्व पल्ली डॉ. राधाकृष्णन रोड, जूना नागरदास रोड, डॉ. राधाकृष्णन क्रॉस गली में,
अंधेरी (पूर्व) मुंबई - ४०० ०६९. टे. फोन : ओ. ८३२ ५७ १८, ८३७ ३७ ७१ रसिकभाई विशेष :- पूज्यपाद परमोपकारी युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य प्रेरणा से सर्व प्रथम यहाँ के हनुमान बिल्डींग के पहले माले पर मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्व प्रभु के गृह जिनालय की स्थापना वि. सं. २०३१ का भाद्रवा सुद १३ को हुई थी और युग दिवाकर धर्मसूरीश्वर आचार्य भगवन्त के आदेश से चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ २१"जिन प्रतिमा की प्रतिष्ठा उस दिन परम पूज्य दर्शन विजयजी म. के शिष्य प. पू. चंद्रकीर्तिविजयजी म. की शुभ निश्रा मे हुई थी। उस वक्त श्याम वर्णीय आरस की एक प्रतिमाजी थी।
उसके बाद श्री संघ के पुण्यबल से भव्य शिखरबंदी जिनालय का भूमिपूजन - खनन - शिलास्थापना विधान परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य गुरु भगवंत की पावन निश्रा में वि. सं. २०३७ मगसर मासमें हुआ था फिर उसकी भव्य प्रतिष्ठा परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री धर्मसूरीश्वरजी म. के पट्टधर पू. आचार्य श्री यशोदेवसूरीश्वरजी म. के पट्टधर पू. आ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३९ का वैशाख सुद ११ रविवार ता. २२-५-८३ को हुई थी साथ ही भव्य अंजन शलाका महोत्सव भी हुआ था। इस मन्दिरजी के निर्माता एवं व्यवस्थापक श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ अंधेरी (पूर्व) हैं।
वि. सं. २०४४ काती वद ७ के शुभदिन यहां प. पू. आ. भ. श्री विजयजयानन्दसूरीश्वरजी म. सा. के शुभ हस्ते प. पू. आ. भ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. सा. और प. पू. आ. भ. श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. का आचार्य पदारोहण महोत्सव सारे मुंबइमें ऐतिहासिक रूपसे बडे ही ठाठ माठ से शेठ श्री अशोकभाई के द्वारा उनके 'आरती' बिल्डींग के विशाल कम्पाउण्ड में बादशाही मंडपो में हुआ था। उस समय सारे मुम्बई महानगर के जैन संघो के ट्रस्टो के प्रमुख कार्यकर्ताओ के विशाल समुदायने उपस्थित होकर नूतन आचार्य देवो का अपूर्व बहुमान और भारी गौरव किया था।
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