________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मुंबई के जैन मन्दिर
म. की निश्रा में माह सुदी ६ दि. ६-२-१९५७ को बडी धूमधाम से अंजनशलाका के साथ प्रतिमाजी को प्रतिष्ठापित किया गया, जिसमे भगवान सुपार्श्वनाथजी की प्रतिमा को सेठ प्रतापभाई भोगीलाल (पाटण), श्री महावीर स्वामी भगवान की प्रतिमा को शा. देवराज गणपत ( कच्छ मोटीखाखर), श्री शांतिनाथ भगवान को शा. वनेचंदजी जेठमलजी कोठारी (घाणेराव) और श्री महावीर स्वामी की प्रतिमा को शा. सुरजमल खुशालभाई ( कच्छ मांडवी) ने बिराजमान किया ।
७५
कालान्तर में मंदिरजी के अग्रभाग में. सं. २०१८ में एक और सुन्दर देहरी (छत्री) का निर्माण शा. धनरूपजी भेराजी बागरेचा सोलंकी के मार्गदर्शन में हुआ, उसमें परम पूज्य आ. भ. कैलाशसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वैशाख वद ७ दि. २६-५-६२ को जिन प्रतिमाओं को प्रतिष्ठापित किया गया। जिसमे भगवान श्री सीमंधर स्वामी प्रतिमाजी शा. पोपटलाल हुकमचन्द शाह ( आजोल निवासी), श्री वासुपूज्यस्वामी भ. की प्रतिमा शा. रिखबचन्द हुकमचन्द शाह (आजोल), श्री मुनिसुव्रत स्वामी भ. की प्रतिमा शा. चुनीलालजी भीकमचन्द कोठारी (धाणेराव) वालो ने बिराजमान की ।
यहाँ वर्षो तक कोई भी स्वतंत्र उपाश्रय नहीं था, उसी वक्त वि. सं. २०२१ में प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. कपडवंज निवासी श्री नवीनचन्द वाडीलाल शाह के महोत्सव पर पधारे थे, उस समय उन्ही के पुण्य प्रभाव और प्रबल प्रेरणा से मन्दिरजी मुख्य ट्रस्टी घाणेराव (राज.) निवासी श्री वनेचन्दजी जेठमलजी कोठारी परिवार के श्री लालचन्दजी ने शान्तावाडी में अपनी विशाल भूमि का दान श्री संघ को उपाश्रय हेतु दिया और फिर ४ मंजील का आलीशान विशाल उपाश्रय का निर्माण होने के बाद वि.सं. २०२४ वैशाख मास में उस भव्य उपाश्रय का उद्घाटन प. पू. युगदिवाकर गुरूदेव की निश्रा में हुआ। उसी वर्ष में पर्युषण पर्व आदि आराधना हेतु पधारे हुए प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के परिवार
प.पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. सा. ( उस समय मुनि प्रवर) की प्रभावपूर्ण प्रेरणा से उनकी निश्रा में उपाश्रय के विविध मंजील के विविध विभागो का आदेश दिया गया और उपाश्रय फंड हुआ, उसमे पहले माले पर श्री वर्धमान तप आयंबिल खाता की स्थापना भी की गयी। कई वर्षो के बाद इस उपाश्रय के पीछे श्राविका उपाश्रय का भी आयोजन हुआ हैं।
For Private and Personal Use Only
तत् पश्चात् सं. २०३५ में प.पू. आ. भ. श्री अशोकचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वैशाख सुदी ६ ता. २ - ५-७९ को देव कुलिका में श्री जिन प्रतिमाओ को प्रतिष्ठापित करने का लाभ निम्न भाग्यशालीओ ने लिया । श्री वासुपूज्य भगवान की प्रतिमा श्री लक्ष्मीचंद भाईचंद शाह (रणासण), श्री धर्मनाथ भगवान की प्रतिमा शा. रतिलाल नगीनदास (पाटण), दरवाजे के उपरी हिस्से में दोनो और देव कुलिकाओं में भगवान बिराजमान किये गये, एवं श्री सीमन्धरस्वामी की छोटी प्रतिमाजी को शा जीवराजजी गणेशमलजी ( खौड. राज.) ने, श्री नेमिनाथ भगवान की प्रतिमाजी को कोरसी वालजी (मनफरा) तथा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमाजी को शा. जेठालाल भाईचंद शाह (सासम बनासकांठा) ने प्रतिष्ठापित की ।