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मुंबई के जैन मन्दिर
यहाँ कच्छ की पंचतीर्थी में श्री जखौ तीर्थ, श्री कोठारा तीर्थ, श्री भद्रेश्वर तीर्थ, श्री तेरा तीर्थ, श्री सुथरी तीर्थ एवं गोडवार की पंचतीर्थी में श्री नाडोल तीर्थ, श्री नारलाई तीर्थ, श्री वरकाणा तीर्थ, श्री मुछाला महावीर तीर्थ, श्री राणकपुर तीर्थ इसके अलावा श्री आबुजी तीर्थ, श्री सम्मेत शिखर तीर्थ, श्री शत्रुंजय तीर्थ, श्री गिरनार तीर्थ, श्री अष्टापद तीर्थ, श्री पावापुरी तीर्थ, श्री नाकोडा तीर्थ, श्री तारंगा तीर्थ, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ इन तीर्थो के अलावा २४ तीर्थंकरो के फोटो, जंबू कुमार का ८ पत्नीयो को उपदेश, सिद्धचक्रजी, धर्मचक्र, स्थूलभद्र रूपकोशा, लक्ष्मीदेवी, सरस्वती देवी, केसरीयाजी, मेरू अभिषेक, नागेश्वर पार्श्वनाथ, चंडकोशीया - महावीर, भगवान श्री आदिनाथजी का इक्षु रस का पारणा, त्रिशला मां के १४ स्वप्न, भोमियाजी ये सभी चित्र मन्दिरजी की दिवारो पर कांच के बनाये इतने सुन्दर लगते हैं कि दर्शन करते ही मन मोहित हो जाता हैं ।
यहाँ उपासरा व जुना कुर्ला महिला मंडल की व्यवस्था हैं ।
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कुर्ला (पूर्व ) चुनाभट्टी
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श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय स्वदेशी मील रोड, स्टे. चुनाभट्टी, कुर्ला (पूर्व), मुंबई - ४०००७०. टेलिफोन नं. (ओ.) ५२९१६८३, ५२२७८९८ - नगराजजी पंडिया, कांतिलालजी - ५१४ ४२०७, कान्तिलालजी - ५१४५१२४
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विशेष :- लगभग सो वर्ष प्राचीन यह गृह मन्दिर हैं। गृह मन्दिर के रूप में २० वर्ष तक था । उसके बाद सर्व प्रथम प्रतिष्ठा वि. सं. १९७२ का माह सुदि - १३ को हुई थी । उसके बाद आरस के ५ प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा वि. सं. २०१८ का वैशाख सुदि ७ को पूज्यपाद सिद्धान्त रक्षक आचार्य भगवंत श्री प्रतापसूरीश्वरजी म., एवं पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी । जीर्णोध्दार के बाद संपूर्ण नूतन शिखरबंदी जिनालय तैयार होने पर परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री मोहन - प्रताप धर्म यशोदेवसूरीश्वरजी म. के पट्टधर शतावधानी आ. श्री विजय जयानन्द सूरीश्वरजी म. प. पू. विशद वक्ता आ. श्री विजय कनकरत्न सूरीश्वरजी, परम पूज्य विद्वद्वर्य आ. श्री विजय महानन्द सूरीश्वरजी म., प. पू. विद्वान वक्ता आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४७ का मगसर वदि ६, शुक्रवार, ता. ७-१२-९० को दस दिन के भव्य महोत्सव के साथ अंजन शलाका और प्रतिष्ठा धामधूम से हुई थी ।
यहाँ के जिनालय में मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु सहित आरस के १३ प्रतिमाजी,
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