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सम्पशामचन्तिका भाषाटीका
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तथा दूसरा उदाहरण -- तीसवां पालाप कैसा है ?
असा प्रश्न होते विकथा, कषाय, इंद्रिय के जिस-जिस कोठा के अंक जोड़ें सो तीस संख्या होइ, तिस-तिस कोठा को प्राप्त विकथादि प्रमाद जोड़ें, भक्तकथालापी-लोभी-रसना इंद्रिय के वशीभूत-निद्रालु-स्नेहवान असा तिस तीसवां पालाप को कहै ।
अब उद्दिष्ट का उदाहरण कहिए हैं - स्त्रीकथालापी-मानी-घाण इंद्रिय के वशीभूत-निद्रालु-स्नेहवान अंसा पालाप केथवा है ?
असा प्रश्न होतें इस पालाप विर्षे जो-जो विकथादि प्रमाद कहा है, तीहतीह प्रमाद का कोठा विर्षे जो-जो अंक एक, च्यारि, बत्तीस, लिखे हैं; तिनकौं जोडें, सैंतीस होइ, तातें सो पालाप सैतीसवां कहिए ।
बहुरि दूसरा उदाहरण अवनिपालकथालापी-लोभी-चक्षु इन्द्रिय के वशीभूतनिद्रालु-स्नेहवान पैसा पालाप कैथवा है ?
तहां इस आलाप विर्षे जे प्रमाद कहे, तिनके कोठानि वि प्राप्त च्यारि, बारह, अड़तालीस अंक मिलाएं, जो संख्या चौंसठि होइ, सोई तिस पालाप कौं चौसठिवां कहै, जैसे ही अन्य पालाप पूछे भी विधान करना ।
असे मूल प्रमाद पांच, उत्तर प्रमाद पंद्रह, उत्तरोत्तर प्रमाद असी, इनका यथासंभव संख्यादिक पांच प्रकारनि का निरूपण करि ।
अब और प्रमाद की संख्या का विशेष कौं जनावें हैं, सो कहैं हैं । स्त्री की सो स्त्रीकथा, धनादिरूप प्रर्थकथा, खाने की सो भोजन कथा, राजानि की सो राजकथा चोर की सो चोरकथा, वैर करणहारी सो वैरकथा, पराया पाखंडादिरूप सो परपाखंडकथा, देशादिक की सो देशकथा, कहानी इत्यादि भाषाकथा, गुण रोकनेरूप मुरणबंधकथा, देवी की सो देवीकथा, कठोररूप निष्ठुरकथा, दुष्टतारूप परपैशून्यकथा, कामादिरूप कंदर्पकथा, देशकाल विर्षे विपरीत सो देशकालानुचितकथा, निर्लज्जतादिरूप भंडकथा, मूर्खतारूप मूर्खकथा, अपनी बढाईरूप प्रात्मप्रशंसाकथा, पराई निंदा रूप परपरिवादकथा, पराई घृणारूप परजुगुप्साकथा, पर कों पीड़ा देनेरूप परपीड़ा कथा, लड़नेरूप कलहकथा, परिग्रह कार्यरूप परिग्रहकथा, खेती आदि का प्रारंभरूप कृष्याचारंभकथा, संगीत बादित्रादिरूप संगीतवादित्रादि कथा - अस विकथा पचीस भेदसंयुक्त है।
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