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सम्मानचन्द्रिका भाषाटीका ]
# च्यारि शक्तिस्थान विषे उदयस्थान का प्रमाण कला । अब चौदह लेश्या स्थानानि विषे उदयस्थाननि का प्रमाण कहिए है - पहिले कृष्ण लेश्या स्थाननि विजेते शिला भेद समान उत्कृष्ट शक्तिस्थान विषै उदयस्थान हैं । ते ते सर्व तिस उत्कृष्ट शक्ति को प्राप्त कृष्ण लेश्या का उत्कृष्ट स्थान तें लगाइ यथायोग्य कृष्ण लेश्या के मध्य स्थान पर्यंत षट्स्थानपतित संक्लेश-हानि लीए, श्रसंख्यातलोकमात्रस्थान हैं; ते उत्कृष्ट शक्ति के स्थान समान जानने
इति मे नादि पृथ्वी भेद समान शक्तिस्थान विषै प्राप्त कृष्ण लेश्या के स्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं, जातं ते स्थान पृथ्वी भेद समान शक्ति स्थान विषै जेते उदय स्थान हैं, तिनिकों यथा योग्य असंख्यात लोक का भाग दीएं एक भाग बिना बहुभाग मात्र हैं ।
बहुरि तिनितें असंख्यात गुणे घाटि, तहां ही कृष्ण, नील दोय लेश्या के स्थान असंख्यात लोक प्रमारग ते तिस श्रवशेष एक भाग कौं यथा योग्य प्रसंख्यात - ate का भाग दीएं, बहुभाग मात्र हैं। एक भाग बिना अवशेष भाग मात्र प्रमाण की बहुभाग संज्ञा जाननी ।
बहुरि तिनि प्रसंख्यात गुणे घाटि, तहां ही कृष्ण, नील, कपोत तीन लेश्या के स्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं; ते तिस अवशेष एक भाग की योग्य प्रसंख्यात लोक का भाग का दीएं, बहुभाग मात्र हैं ।
बहुरि तिनितें असंख्यात गुणे घाटि तहां ही कृष्णादि च्यारि लेश्या के स्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं । ते अवशेष एक भाग की योग्य प्रसंख्यात लोक का भाग दीयें बहुभाग मात्र हैं ।
बहुरि तिनि असंख्यात गुणे घाट, तहां ही कृष्णादि पंच लेश्या के स्थान असंख्यात लोक प्रमाण है । ते अवशेष एक भाग की योग्य असंख्यात लोक का भाग दीएं बहुभाग मात्र हैं । बहुरि तिनितें असंख्यात लोक गुणे घाटि तहां ही कृष्णादि छह लेश्या के स्थान प्रसंख्यात लोक प्रमाण हैं । ते तिस अवशेष एक भाग मात्र हैं । इहां पूर्व स्थान तें बहुभागरूप प्रसंख्यात लोकमात्र गुणकार घट्या; ताले असंख्यात गुणा घाट का है । बहुरि तिनिवें प्रसंख्यात गुणे घाटि धूलि रेखा समान शक्तिस्थान विषे प्राप्त कृष्णादि छह लेश्या के स्थान असंख्यात लोक प्रमाण