________________
| ६७५
सम्मानका भावाटीका 1
अर प्रमाण राशि एक का भाग दीजिए, तब लब्धराशि अनंतलोक प्रमाण भया: सातै जीव द्रव्य अनंतलोक प्रमाण कहे । असें ही प्रत्यत्र काल प्रमाणादिक विषै त्रैराशिक करि साधन करि लेना | बहरि जीवनि से पुदगल अनंत सुखे हैं । बहरि धर्म, धर्म, लोकाकाश भर काल द्रव्य ए लोकमात्र प्रदेशनि को घरे हैं । बहुरि व्यवहार काल पुद्गल द्रव्य तें अनंत गुणा है । बहुरि अलोकाकाश का प्रदेश काल तें अनंत गुणा है ।
बहुरि काल प्रमाण करि जीवद्रव्य का प्रमाण कहिए हैं - प्रमाणराशि अतीतकाल, फलराशि एक शलाका, इच्छाराशि जीवनि का परिमाण, इहां लब्धराशिप्रमाण शलाका अनंत भई । बहुरि प्रमाणराशि एक शलाका, फलराशि अतीतकाल, इच्छाराशि पूर्वोक्त शलाका प्रमाण, सो पूर्वोक्त प्रकार फल करि इच्छा काँ गुर, प्रमाण का भाग दीएं, लब्धराशि प्रमाण प्रतीत काल तैं अनंत गुणा जीवनि का प्रमाण जानना । इनि से पुद्गल द्रव्य भर व्यवहार काल के समय पर लोकाकाश के प्रदेश अनंत गुणे अनंत गुणे क्रम तें अनंत अतीत काल मात्र जानने ।
•
बहुरि धर्मादिक का प्रमारण कहिए हैं प्रमाण कल्पकाल, फल एक शलाका, इच्छा लोक प्रमाण, तहां लब्धप्रमाण शलाका प्रख्यात भई । बहुरि प्रमाण एक शलाका, फल कल्पकाल, इच्छा पूर्वोक्त शलाका प्रमाण, सो यथोक्त करतां लब्धराशि श्रसंख्यात कल्पप्रमाण, धर्म, अधर्म, लोकाकाश, काल ए च्यार्थी जानने । बीस कोडाकोडी सागर के संख्याते पल्य भए, तीहि प्रमारण कल्पकाल है । इसते असंख्यात गुणे धर्म, धर्म, लोकाकाश, काल के प्रदेश हैं ।
बहुरि भाव प्रमाण करि जीवद्रव्य का प्रमाण विषे प्रमाणराशि जीवद्रव्य का प्रमाण, फल एक शलाका, इच्छा केवलज्ञान लब्धप्रमाण शलाका अनंत, बहुरि प्रमाण राशि शलाका का प्रमाण फलराशि केवलज्ञान, इच्छाराशि एक शलाका, सो यथोक्त करतां लब्धराशि प्रमाण केवलज्ञान के श्रनंतवे भागमात्र जीवद्रव्य जानने । 'पुद्गल, काल, अलोकाकाश की अपेक्षा च्यारि बार अनंत का भाग केवलज्ञान के विभाग प्रतिच्छेदन का प्रमाण को दीएं, जो प्रमाण प्राव, तितने जीवद्रव्य हैं । तिमि ते अनंत गुणे पुद्गल हैं । तिनि तें अनंत गुणे काल के समय हैं । तिनि तें
ते
3
त गुणे लोकाकाश के प्रदेश हैं । तेऊ केवलज्ञान के अनंतवें भाग ही हैं । बहुरि धर्मादिक का प्रमाण विषे प्रमाण लोक, फल एक शलाका, इच्छा अवधिज्ञान के भेद,
Ir
1