Book Title: Samyaggyanchandrika
Author(s): Yashpal Jain
Publisher: Kundkund Kahan Digambar Jain Trust

View full book text
Previous | Next

Page 853
________________ . ... ... ... ४ ..... |- - असंज्ञा ..... रखकर मध्य सअपर्याप्त बिना . - _ -. ६ E . - मर पाव . भा४ ३५ -".- रचना अशुभ rammad 4%A4%96-744563-96 पात पीनर .-- .. _ - सास करे अपर्याप्त संशोअप १ योतिविना ५९ शुश्मा३! २ . अपर्यात __ ज्यपदेशरसि सागरमया युद्ध गोसियर वर मागु०पत् 1१०1७ (19ICE __ बाहारमागे १३ पावियोहा रकरखना A late । २ जातिले धार SHRI थामारक पर्याप्त रचना ४ ४ ५ ६.. | २६२ आहा _ ! R ६ ७१ आधारक अपक्ष मिस अविश्व सियार पात] २ मित्र २ धात ४NRN श्आ । विन ना पर 850

Loading...

Page Navigation
1 ... 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873