Book Title: Samyaggyanchandrika
Author(s): Yashpal Jain
Publisher: Kundkund Kahan Digambar Jain Trust

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Page 866
________________ पाया गाथा र भार। ग्राथा सं० पृष्ठ संग २६८ ३५३ २४६ FM ३४० १७१ ५०६ २५८ ३१६ ५६५ ७२० १८१ ३२२ ५९७ ४३६ ६५३ २६९ उरक्खथावर चाउछिपद क्खूण जे पया चक्खूसोदं पंडोरा मुबह पतारिविखे बदुगदिभब्दो कदुगदिमदि चंदरविबु चरमपरासण चरिमुष्टकरण बागीभक्दो पोक्सो चितियचितिय चिंतियचितिय चौदसमगाए ६५२ ४६१ १४१ ५.६६ ६२२ ७०२ ५८ ४७६ ४७६ ५६७ ५७० ६६० ४५६ ५१६ ४३८ ४४६ जहपुण्णापुण्याई जह भारबहो जाइ जरामरण आई अविणाभावी जागर कम्जाकज्ज जाब विकाल बावि जासु व जोवधुगं उत्तर जीवा घरातसंसा गोवा चोदसभे जोबाजीब पर्व जीवाणं च य रासी जीवादोगत जीवादोगतगु जीविवरे कम्भ जेहावरबह जेसि पसंति जेहि प्रया जेहि दु जोइसियवास जोइसियताणो जोइसियादो पहिया जोगपउत्ती जोग पछि जोगि जोगे चउरक्खा जो पेष सच्चमोसो जो तसवहाउ ३२४ २४६ kee ५६५ .६०५ ६४३ .७०८ २७० ७०२ ५०१ ६७० १८० ५६२ ४६५ २७७ छवाहाणं मादी छात्ति पदम छदबाघहामं छदव्वेसुयशाम छप्पयशील छणचाघिय छप्पंपराववि छस्सय जोयण छस्सयपणासाई छादयदि सयं छत्तूरमय पर ४३७ ६५६ ५८७ २३४ ३५८ ३०४ 9 E xarxx ॐ MUoreNV १५६ ५८५ ७११ ७५३ २७४ ४० ४८७ २२१ ३५५ २२२ ५६७ ठाणेहिवि कोणीहि १५४ १६२ ६०० जणवदसम्मदि जत्तस्स पह जत्थक्कमरइ जम्मं खलु सम्म जम्बूको भरहो अम्हारबरिमभावा जं सामग्णं जह कंचरणमा जहरवदसंजमो १६५ २८० १३४ एकसाये एपमाये पढमा पटठासेसपमादो जय कुणपक्वथा ए य जे भन्या भवा जय पत्तिय ४८६ ४६ ५१७ १३३ ५८१ ५६७ ३४१ २०३ ४६८ ५५६

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