Book Title: Samyaggyanchandrika
Author(s): Yashpal Jain
Publisher: Kundkund Kahan Digambar Jain Trust
View full book text
________________
ma
m
a-
Linces
*२२ क
बसयत पांतरचना अस
-
४ मरका
पिणा 4
३। ४ मतिविन भाद
आदि। भादि काभ
असयत अस्वात
-
२क्षा ३
1
[
१]
-
1.३ १
६ ४मिमिक्ष
आदिदे आदि
सायतरयना देव
शुक्लेश्य ।
फा ६६
१०७
५/
३
।
४
।
CONCERCANCE%%
रन८५. . .***
४
अप्रमत्त रचना
गाहार चिमा।.
-
aaaHANDRAMANIMEDIA
पं
लम्यूम करवानसं भस्था
गोपनिया 18. अलेश्चयो | न वत्
गोमिदरःगु X भयमानामा वि मध्य
रचना गुणस्थान। चत्
10/= = = = = = = = = = = = = = =
१९१०६
842

Page Navigation
1 ... 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873