Book Title: Samyaggyanchandrika
Author(s): Yashpal Jain
Publisher: Kundkund Kahan Digambar Jain Trust

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Page 834
________________ --- | | अस्मानी मियादृष्टि अपर्याप्त । . | - - . - अचाननी। सासादनानि शोषकवाय पयलयवासी चन् । गुरु गु गु गु - | F__ . RRORSALMICROROSCOREAK भवधिदर्शनी । २ 4 अवधिदशा असंय। रचना वादि । १०७४ । - ४ प।१५। ३। प ४ अति। . | ! . अवधिदर्शनो पयोग 1भाय। रचना ! तादि । . 4 | .. RAKAR अवधिदर्शनी २ अपर्याप्त पर रचना | र अवभिटशनी अयनादि भीणकवाय ०/ ० ० नवत Do late पर्यतअवधिनिषत् शानदन् ! केवलदर्शनी रचनाकेबल... शानीवत् बत वितवत | क्त तपत वत... यतधता | | म

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