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*सामापया १
मोनमत रचना ।
ट।३।५मति सानु ।
मादि।११ यादि
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सामाग्यस वमीप्रमत्त रखना
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मीअपूवकर
गाविशेगो गुणस्था पर्वतगुणात
स्थानवत् ।
सामायक। संयमी रचना
बन RAANEMA*2-22 - TA
বিজ্ঞা" यमोषमता गुण दिभनिवृत्ति पर्यतगुण
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दोपस्थाप! नासंयमीरच सामायक,
मापवंसामा वत्ष R पिकवत्
----- परिहारधि। . शुद्धिसंयमी र
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रखना । अपर
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