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[ गोम्मटसार जीवको गाथा २६६
बहुरि ताके ऊपर सांतर निरंतर वरणा है। तहाँ उत्कृष्ट ध्रुववर्गणा ते एक infi fr भए जघन्य भेद हो है । इस जघन्य को अनंतगुणा जीवराशि का प्रमाण करि गुणे, उत्कृष्ट भेद हो है ।
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असे जो ए अणुवरणातें लगाइ पंद्रह वर्गणा कहीं, ते सदृश परिमाण को लीए, एक एक वर्गेणा लोक विधै अनंत पुद्गल राशि का वर्गमूल प्रमाण पाइए है । परि किछु घाटि वाटि क्रम तँ पाइए है । तहां प्रतिभागहार सिद्ध अनंत भागमात्र है । सो इस कथन कौं विशेष करि आगे कहिएगा ।
बहुरि ताके ऊपर शून्य वर्गणा है, तहां उत्कृष्ट सांतर निरन्तर वगेरा ते एक एक परमाणू अधिक भए जघन्य भेद हो है । इस जघन्य को अनंतगुणा जीवराशि का प्रमाण करि गुण, उत्कृष्ट भेद हो है । जैसे सोलह वर्गेणा सिद्ध भई ।
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बहुरि ताके ऊपर प्रत्येक शरीर वर्गणा है; सो एक शरीर एक जीव का pts, arat प्रत्येक शरीर कहिए। तहां जो विस्रसोपचय सहित कर्म वा नोक तिनिका एक स्कंध ताक प्रत्येक शरीर वर्गेणा कहिये । तहां शून्यवर्गसा का उत्कृष्ट तें एक परमाणू करि अधिक जधन्य भेद हो है; सो यहु जघन्य भेद कहाँ पाइये है ? सो कहिए हैं---
जाका कर्म के अंश दक्षयरूप भए है, अंसा कोई क्षपितकर्मा जीव, सो कोटि पूर्व वर्ष प्रमाण आयु का धारी मनुष्य होइ, अंतमुहूर्त अधिक आठ वर्ष के ऊपरि सम्यक्त्व पर संयम दोऊ एक काल अंगीकार करि संयोग केवली भया, सो किछ घाटि कोटि पूर्व पर्यंत श्रदारिकं शरीर पर तेजस शरीर की तो जो प्रकार का है, वैसे निर्जरा करत संता और कार्मारण शरीर को गुण श्रेणी निर्जरा करत संता, अयोगकेवली का अंत समय कौं प्राप्त भया, तार्के आयु कर्म, प्रदारिक, तेजस शरीर अधिक नाम, गोत्र, वेदनीय कर्म के परिमाणूनि का समूह रूप जो श्रदारिक, तैजस, कार्मारण, इनि तौनि शरीरनि का स्कंध, सो जघन्य प्रत्येक शरीर वर्गणा हैं । बहुरि इस जघन्य को पल्य का असंख्यातवां भागकरि गुणे, उत्कृष्ट प्रत्येक शरीर वर्गणा हो है । 'सरे कहां पाइए ? सो कहिए हैं
'नंदीश्वर नाभा द्वीप विषे प्रकृत्रिम चैत्यालय है। तहां धूप के घड़ हैं । तिनि विषं वा स्वयंभूरमण द्वीप विषे उपजे दावानल, तिनि विषे जे बादर पर्याप्त अग्नि