________________
सम्यग्जामचन्द्रिका भाषाटोका ।
[ ६३३
सो कहिये हैं - इहां गच्छ का प्रमारए पांच, अर गुरगकार का प्रमाण च्यारि सो पांच जायगा च्यारि च्यारि माडि, परस्पर गुथिए, तब एक हजार चौईस हूवा, यामैं एक घटाएं, एक हजार तेईस हूवा । बहुरि याको एक घाटि गुणकार का प्रमाण लीन का भाग दीजिये, तब तीन से इकतालीस हवा । बहुरि आदिस्थान का प्रमाण दश, तिसकरि याकौं गणे, चौतीस से दश (३४१०) भया, सोई सर्व का.जोड जानना कैसे ? पंचस्थानकवि विर्षे असा प्रमाण है-१०४०११६०१६४०।२५.६० । सो इनिका जोड चौतीस से दश ही हो है । असें अन्यत्र भी जानना । सो इस ही सूत्र करि इहां गच्छ का प्रमाण तीन पाटि द्वीपसागर के प्रमाण ते आधा. प्रमाण लीये हैं । सो सर्व द्वीप - समुद्रनि का प्रमाण कितना है ? सो कहिए हैं - एक राज के जेते अर्धच्छेदं हैं, -तिनि में लाख योजन के अर्धच्छेद पर एक योजन के सात लाख अडसठि हजार अंगुल तिनिके अर्धच्छेद अर सूच्यंगुल के अर्धच्छेद पर मेरु के मस्तक प्राप्त, भया एक अर्धच्छेद, इतने अर्धच्छेद घटाएं, जेता अवशेष प्रमाण रह्या, तितने सर्व द्वीप - समुद्र हैं। अब इहां गुणोत्तर का प्रमाण सोलह सौ गच्छप्रमाण गुणोत्तरनि की परस्पर गुणना । तहां प्रथम एक राजू का अर्धच्छेद राशि ते प्राधा प्रमाण मात्र जायगा सोलह -सोलह मांडि, परस्पर गुणन कीए, 'राजू का वर्ग हो है । सो कैसे ? सो कहिये हैं
विवक्षित मच्छ का प्राधा प्रमाण मात्र विवक्षित गुणकार (का वर्गमूल) १ मांडि परस्पर गुणन कीएं, जो प्रमाण होइ, सोई संपूर्ण विवक्षित गच्छ प्रमाण मात्र विवक्षित गुणकार का वर्गमूल मांडि, परस्पर गुणन कोएं, प्रमाण हो है। जैसे विवक्षित गच्छ पाठ, ताका आधा प्रभारण च्यारि, सो च्यारि जायगा विवक्षित गुणकार नव, नव मांडि परस्पर गुणे, पैसठि से इकसठि होइ, सोई विवक्षित गच्छ मात्र आठ जायगा विवक्षित गुणकार नब का वर्गमूल तीन - तीन मांडि परस्पर गुरुगन कीएं, पेंसठि से इकसठि हो हैं। असे ही इहां विवक्षित गच्छ एक राजू के अर्धच्छेद, ताका अर्धच्छेद प्रमाण मात्र जायगा सोलह - सोलह मांडि परस्पर गुण, जो प्रमाण होइ, सोई राजू के अर्धच्छेद मात्र सोलह का वर्गमूल च्यारि च्यारि मांडि परस्पर गणे, प्रमाण होइ, सो राजू के अर्धच्छेद मात्र जायगा दूबा मांडि, गुण, तौ राजू होइ । पर तितनी ही जायगा दोय - दोय वार दुवा मांडि, परस्पर गुण, राजू का वर्ग हो है । सो जगत्प्रतर कौं दोय वार सात का भाग दीजिए इतना हो है. । बहुरि यामें एक
१. 'का वर्गमूल' यह छपी प्रति में मिलता है। छहों हस्तलिखित प्रतियों में नहीं मिलता।