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होम्भहसार जीवकाष्ठ गाया ४०५-४०६
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टीका - प्रथम काउका विषं जपाय क्षेत्र धनामुलक अस्पात में भाग प्रमाण है । पर जघन्य काल आवली का असंख्यातवां भाग प्रमाण है । बहुरि तिस ही प्रथम कांडक विर्षे उत्कृष्ट क्षेत्र घनांगल के संख्यातवे? भाग प्रमाण है। पर काल प्रावली का असंख्यातवा भाग प्रमाण है । बहुरि प्रागै उत्कृष्ट भेद अपेक्षा दूसरा कांडक विर्षे क्षेत्र घनांगुल प्रमाण है । पर काल 'प्रालियंत कहिये किछु पाटि प्रावली प्रमाण है । बहुरि तीसरा कांडक विर्षे क्षेत्र पृथक्त्व घनांगुल प्रमाण है । अर काल पृथक्त्व पावली प्रमाण है।
तीन के तौ ऊपरि पर नवमे के नीचें पृथक्त्व संज्ञा जाननी । प्रावलियर्डधत्तं पुरण, हत्थं तह गाउयं महत्तं तु । जोयरग भिण्णमुहुरतं, विवसंतो पष्णुवीसं तु॥४०॥
आवलिपृथक्त्वं पुनः हस्तस्तया गम्यूतिः मुहूर्तस्तु ।
योजनं भिन्नमुहूर्तः, दिवसांतः पंचविंशतिस्तु ।।४०५॥ टीका - चौथा कांडक विर्षे काल पृथवश्व प्रावली प्रमाण अर क्षेत्र एक हाथ प्रमाण है । बहुरि पांचवां कांडक विषं क्षेत्र एक कोश पर काल अंतर्मुहूर्त है । बहुरि छठा कांडक विषं क्षेत्र एक योजन अर काल भिन्न मुहूर्त कहिये, किछू घाटि मुहूर्त है । बहुरि सातवां कांडक विर्षे काल किछ धाटि एक दिन अर क्षेत्र पचीस योजन है ।
भरहम्मि अद्धमासं, साहियमासं च जंबुदीवम्मि । वासं च मणुवलोए, वासयुधत्तं च रुचगम्मि ॥४०६।।
भरते अर्धमासः, साधिकमासश्च जंबूद्वीपे ।
वर्षश्न मनुजलोके, वर्षपृथक्त्वं च रुचके १५४०६।। टीका - आठवां कांडक विर्षे क्षेत्र भरतक्षेत्र पर काल प्राधा मास है । बहुरि नवमा कांडक विषै क्षेत्र जंबूद्वीप प्रमाण अर काल फिछ अधिक एक मास है । बहुरि दशवा कांडक विर्षे क्षेत्र मनुष्य लोक - अढाई द्वीप प्रमाण पर काल एक वर्ष है। बहुरि ग्यारहवां कांडक विर्षे क्षेत्र रुचकद्वीप पर काल पृथक्त्व वर्ष प्रमाण है।
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१. सभी हस्तलिखित प्रतियों में संख्यात मिलता है। पूर्व में छपी प्रति में असंख्यात मिलता है।