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। गोम्मटसार जोषात पाथा ५२३-५२५
उत्कृष्ट अंश करि मरं, ते सनत्कुमार - माहेन्द्र स्वर्ग का अंत का पटल विर्षे चक्र नामा इद्रक संबंधी श्रेणीबद्ध विमान, तिनि विौं उपजें हैं।
अवरंसमुदा सोहम्मोसाणादिमउडम्मि सेढिम्मि । मज्झिमसेरण मुबा, विमलविमाणादिबलभद्दे ॥२३॥
अवशिमताः सौधर्मशानाविमौ श्रेण्याम् ।
मध्यमांशेन मृता, विमलविमानादिबलभद्रे ॥५२३॥ टीका - तेजो लेश्या का जघन्य अंश करि मरें, ते जीव सीधर्म ईशान का पहिला रितु (जु) नामा इद्रक वा श्रेणीबद्ध विमान, तिनिविर्षे उपजें हैं । बहुरि तेजो लेश्याः का मध्यमः अंश. करि मरे, ते जीव सौधर्म - ईशान का दूसरा पटल का विमल नामाइंद्रक ते लगाइसनत्कुमार - माहेन्द्र का द्विचरम पटल का बलभद्र नामा इंद्रक पर्यंत विमान विर्षे उपजे हैं ।
किण्हवलोच जुदा, प्राधिकाश्मि प्रवरसमुदा। पंचमचरिमतिमिस्से, मज्झे मझग जायन्ते ॥५२४॥
कृष्णवरांशेन मता, अयधिस्थाने प्रवरांशमृताः ।
पञ्चभचरमतिमिस्र, मध्ये मध्येन जायन्ते ।।५२४।। टीका -- कृष्ण लेश्या का उत्कृष्ट अंश करि मरें, ते जीव सातवीं नरक पृथ्वी का एक ही पटल है, ताका अवधि स्थानक नामा इद्रक बिल विौं उपजें हैं । बहुरि कृष्ण लेश्या का जघन्य अंश करि मरै, ते जीव पंचम पृथ्वी का अंत पटल का तिमिस्र नामा इद्रक विष उपज हैं। बहुरि कृष्ण लेश्या का मध्यम अंश करि मरे, ते जीव अवधिस्थान इंद्रक का च्यारि श्रेणीबद्ध बिल तिनि विर्षे वा छठा पृथ्वी का तीनों पटलनि विर्षे वा पांचवी पृथ्वी का चरम पटल विष यथायोग्य उपजै हैं ।
नीलुक्कस्संसमुदा, पंचमधिदम्मि अवरमुदा। वालुकसंपज्जलिवे, मज्झे मज्झरण जायते ॥५२५॥
तोलोकृष्टांशमृताः, पञ्चमांधेन्द्रके प्रवरभूसाः । वालुकासंप्रज्वलित, मध्ये मध्येन जायन्ते ॥५२॥