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गोम्पसार जीवकाण्ड गाया ४४ पर प्रथम कोठा विर्षे बिंदी, द्वितीय कोठा विर्ष ऊपरि की दोय पंक्ति के अंत का कोठा के जो. दश होइ सो, अर तृतीयादि कोठानि विषं सोई दश-दश बधाइ लिखे हैं । पर ताके नीचे कषाय पंक्ति विर्षे पचीस कोठे करि, तहां अनंतानुबंधी क्रोधादि लिखे। अर प्रथम कोठा विर्षे बिंदी, दूसरा कोठा विर्षे ऊपरि की तीन पंक्ति का अंत के कोठानि का जोड साठि लिखि, तृतीयादि कोठानि विर्षे तितने-तितने बधाइ लिखे । बहुरि ताके नीचे विकथा पंक्ति विर्षे पचीस कोठा करि तहां स्त्रीकथादि लिखे । पर प्रथम कोठा विर्षे बिंदी, द्वितीय कोठा विर्षे ऊपरि की च्यारि पंक्तिनि के अंत कोठानि का जोड पंद्रह से, तृतीयादि कोठानि विर्षे तितने-तितने ही बधाइ लिखे हैं। असे प्रथम प्रस्तार अपेक्षा यंत्र भया । ( देखिए पृष्ठ १२५)
बहुरि साडा संतीस हजार प्रमाद भंगनि का द्वितीय प्रस्तार अपेक्षा गूढ यंत्र लिखिए हैं।
तहां ऊपरि विकथा पंक्ति करी, नहीं पचीस कोठे करि, तहां स्त्रीकथादि लिखे । पर एक, दोय आदि एक-एक बधता अंक लिखे, ताके नीचे-नीचे कषाय पंक्ति पर इंद्रिय पंक्ति पर निद्रा पंक्ति भर प्रणय पंक्ति विर्षे काम ते पचीस, पचीस, छह, पांच, दोय कोठे करि तहां अपने-अपने उत्तर भेद लिखे । बहुरि इन सब पंक्तिनि के प्रथम कोठर वि बिंदी लिखी । अर दूसरा कोठा विषं अपनी-अपनी पंक्ति तें ऊपरि क्रम से एक, दोय, तीन, न्यारि पंक्ति, तिनके अंत कोठा संबंधी अंकनि कौं जोडे, पचीस, छह सै पचीस, साडा सैतीस सै, अठारह हजार साल से पचास लिखे । बहुरि तृतीयादि कोठानि विर्षे जेते दूसरे कोठा विर्षे लिखे, तितने-तितने बधाइ, कम तें अंत कोठा पर्यंत लिखे हैं । असे द्वितीय प्रस्तार अपेक्षा यंत्र जानना । (सोही यंत्र का कोठा को विधि वा अक्षर. अंकादिक कही विधि मूजिव क्रम ते यंत्र रचना विधि लिखि है। ) इसप्रकार साढा सैंतीस हजार प्रमाद का मूढ यंत्र कीए । (देखिए पृष्ठ १२६)
तहा प्रथम प्रस्तार अपेक्षा कोऊ पूछ कि इन भंगनि विर्षे पैतीस हजारवां भंग कौन है ?
तहां प्रणय पंक्ति का दूसरा कोठा, निद्रा पंक्ति का पांचवां कोठा, इंद्रिय पंक्ति का दूसरा कोठा, कषाय पंक्ति का नवमा कोठा, विकथा पंक्ति का चौवीसवां कोठा,
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१यह वाक्य छह हस्तलिखित प्रतियो में नहीं मिला।