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पोम्मटसार जोमका गाया २१४
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च्छेदनि का परिमाण होई । बहुरि दोय बार पावली का असंख्यातवां भाग का भागः पल्या कौं दीए, जो परिमाण प्रांव, तितनां सागर में सों घटाइएं, तब बादर अप्रतिष्ठित प्रत्येक राशि के अर्धच्छेदनि का परिमारण होइ । बहुरि तीन बार श्रावली: का असंख्यातवां भाग का भाग पल्य.कौं दीएं, जो परिमाण प्रावै, तितना सागर में सों घटाइए, तब बादर प्रतिष्ठित प्रत्येक राशि के अर्धच्छेदनि का परिमाण होइ । बहुरि च्यारि बार पावली का असंख्यातवां भाग का भाग पल्य कौं दीएं, जो परिमाण प्रादे, तितनां सागर में सों घटाएं, पृथ्वीकायिक राशि के अर्धच्छेदनि का परिमाण होइ । बहुरि पांच बार अावली का असंख्यातथा भाग का भागःपल्या कौं दीएं, जो परिमारण,प्रावै, तितता सागर में सों घटाएं, अपकायिक राशि के अर्धच्छेदनि का परिमाण होइ.। बहुरि वातकायिक राशि के अर्घच्छेदनि का परिमारण संपूर्ण सागर प्रमाग, जालना । जाते सूत्र विर्षे असा कहा है. 'अंत विर्षे संपूर्ण सागर हैं।
ते वि विसेसेंगाहिया, पल्लासंखज्जभागमेत्तण ।' सम्हा ते रासोश्रो, असंखलोगेण गुरिगदकमा ॥२१४॥ सेऽपि विशेषेरणाधिकाः, पल्यासंख्यातभागमात्रेण । सस्माले राशयोऽसंख्यलोकन गुणितक्रमाः ॥२१४॥
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टीका -- जा कारण ते जे अर्घच्छेद राशि, ते बादर तेजकायिक राशि के अर्धच्छेद राशि तें लगाइ, अप्रतिष्ठित प्रत्येक प्रादि राशिनि के अर्धच्छेद पांचौ आवली के असंख्यातवें भाग मात्र अपना-अपना एक-एक विशेष करि क्रम ते अधिक हैं । तहां अग्निकायिक राशिनि के अर्धच्छेदविःते अप्रतिष्ठित प्रत्येकराशि के अर्धच्छेद पल्य कौं एक घाटि पावली का असंख्यातवां भाग करि गुरिणएं अर दोय बार पावली का असंख्यातवां भाग का भाग दीजिए, जो प्रमाण होइ, तितने अधिक हैं । बहुरि अप्रतिष्ठित प्रत्येक राशि के अर्धच्छेदनि तें प्रतिष्ठित प्रत्येक राशि के अर्धच्छेद पल्य कौं एकर घाटि पावली का असंख्यातयां भागकरि, गुरिगए अर तीन बार श्रावली का असंख्यातवा भाग का भाग दीएं, जो प्रमाण होइ तितने अधिक हैं। बहुरि प्रतिष्ठित प्रत्येक राशि के अर्धच्छेदनि रौं बादर पृथ्वीकायिक राशि के अर्धच्छेद पल्य की एक वाटि पावली का असंख्यातवा भाग करि भुणिए: अर च्यारि बार अावली का असंख्यातवां भाग का भाग दीजिए; जो प्रमाण होइ, तितने अधिक हैं । बहुरि बादर पृथ्वी