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सम्यशामत्रिका भाषाका ] बहुरि तीह स्यों संख्यात गुणा धाटि पन-लेश्या का धारक सैनी पंचेंद्री तिर्यच हैं । असे ए सब संख्यात गुणा घाटि कह्या ।
इगिपुरिसे बत्तीसं, देवी तज्जोगभजिददेवोधे । सगगुरणगारेण गुणे, पुरुसा महिला य देवेसु ॥२७॥
एकपुरुषे द्वात्रिंशद्देव्यः तद्योगभक्तदेवौधे ।
स्वकगुणकारेण गुणे, पुरुषा महिलाश्च देवेषु ॥२७८।। टीका - देवगति विर्ष एक पुरुष के बत्तीस देवांगना होइ । कोई ही देव के बत्तीस सौं धाटि देवांगना नाहीं । अर इंद्रादिकनि के देवांगना तिनत संख्यात गुणी बहुत हैं। तथापि जिनके बहुत देवांगना हैं, जैसे देव तौ थोरे हैं। अर बत्तीस देवांगना जिनके हैं; असे प्रकीर्णकादिक देव घने तिनसे असंख्यात गुणे हैं । तास एक एक देव के बत्तीस-बत्तीस देवांगना की विवक्षा करि अधिक की न करि कही । सो बत्तीस देवांगना पर एक देव मिलाएं तैतीस भए, सो पूर्व जो देवनि का परिमाण कहा था, ताकौं तैतीस का भाग दीएं जो एक भाग का परिमाण आवै, ताकी एक करि गुण तितना ही रह्या, सो इतने तो देवगति विर्ष पुरुष जानने। पर याकौं बत्तीस गुणां कीएं जो परिमाण होइ, तितनी देवांगना जाननीं।
भावार्थ - देवराशि का तेतीस भाग में एक भाग प्रमाण देव है, बत्तीस . भाग प्रमाण देवांगना हैं।
देहि सादिरेया, पुरिसा देवीहि साहिया इत्थी। तेहिं विहीण सवेदो, रासी संढाण परिमाणं ॥२७६॥
देवः सातिरेकाः, पुरुषाः देवीभिः साधिकाः स्त्रियः ।
तविहीनः सवेदो, राशिः घटानां परिमाणम् ॥२७९।। टीका - परुष वेदी देवनि का जो परिमाण कमा, तीहि विष परुष देदी तिर्यच, मनुष्यनि का परिमाण मिलाएं, सर्व पुरुष वेदी जीवनि का परिमाण हो है.। बहुरि देवांगना का जो परिमाण कह्या तीहि विर्षे तिर्य चरणी वा मनुष्यणी का परिमाण मिलाएं सर्व स्त्रीवेदी जीवनि का परिमारण हो है । बहुरि नवमा गुणस्थान का वेद रहित भाग नै लगाइ प्रयोग केवली पर्यंत जीवनि का संख्या रहित सर्व