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सम्मानचन्द्रिका भावाटीका )
[ २०१ का भाग दीजिए, ताकौं पांचगुणा करिए,असे करते शंख क्षेत्र का खातफल हो है। सो इहां व्यास बारह योजन करें याही करि गुण एक सौ चवालीस होइ । यामें मुख का पाषा प्रमाण दोय घटाए, एक सौ ब्यालीस होइ । यामें मुख का आधा प्रमाण का वर्ग च्यारि जोडें, एक सौ छियालीस होइ । याकौं दूणा कीए दोय से बागवे होइ । याकौं व्यारि का भाग दीए तेहत्तरि होइ । याकौं पांच करि गुण, तीन सौ पैसठि योजन प्रमाण शंख का क्षेत्रफल हो है ।
बहुरि श्रींद्रियनि विर्षे स्वयंभरमण द्वीप का परला भाग विर्षे जो कर्मभूमि संबंधी क्षेत्र है, तहां रक्त बीच जीव है । तीहि विर्षे योजन का तीन चौथा भाग प्रमाण (1) लम्बा, लम्बाई के आठवें भाग (२२) चौडा, चौडाई ते आधा (16) ऊना और समाज माह है : यहु क्षेत्र आयत चतुरस्र है । लम्बाई लीए चौकोर है, सो याका प्रतर क्षेत्रफल भुज कोटि बधते हो 'है । सन्मुख दोय दिशानि विर्षे कोई एक दिशा विष जितना प्रमाण, ताका नाम भुज है । बहुरि अन्य दोय दिशा विर्षे कोई एक दिशा विर्षे जितना प्रमाण, ताका नाम कोटि है । अर्थ यह जो लम्बाई-चौडाई विर्षे एक का नाम भुज, एक का नाम कोटि जानना । इनिका वेध कहिए परस्पर गुरणना, तीहि थकी प्रतर क्षेत्रफल हो है। सो इहां लम्बाई तीन चौथा भाग, चौडाई तीन बत्तीसवां भाग, इनिको परस्पर गुण नब का एक सौ अठाईसवां भाग ( १२८) भया । बहुरि याकौं वेध ऊंचाई का प्रमाण तिनिका चौसठियां भाग, ताकरि गुणे, सत्ताईस योजन को इक्यासी से बाण का भाग 'दीए एक भाग (८१६२)प्रमाण रक्त बीछ का धन क्षेत्रफल हो है।
____ बहुरि चतुरिद्रियनि विर्षे स्वयंभूरमरण द्वीप का परला भामवर्ती कर्मभूमि संबंधी क्षेत्र विर्षे भ्रमर हो है । सो दिहि विर्षे एक योजन लांबा, पौन योजन(२) चौडा, आधा योजन (२) ऊंचा उत्कृष्ट अवगाह है। ताकी भुज कोटि वेध - एक योजन पर तीन योजन का चौथा भाग, अर एक योजन का दूसरा भाग, इनिकों परस्पर गुणे, तीन योजन का आठवा भाग (८) प्रमाण घन क्षेत्रफल' हो है ।
बहुरि पंचेंद्रियनि विर्षे स्वयंभूरमण समुद्र के मध्यवर्ती महामच्छ, तीहि विर्षे हजार (१०००) योजन लांबा, पांच से (५००) योजन चौडा, पचास अधिक दोय सै (२५०) योजन ऊंचा उत्कृष्ट अवगाह है। तहां भुज, कोटि, वेध हजार
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