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५५० ]
| गोम्मटसार जश्वका माथा ११७ वर्गस्थान सोलह, ताका अर्धच्छेद च्यारि अर तीसरा वर्गस्थान दोय से छप्पन, ताका अर्धच्छेद पाठ, असे ही दूणे-दूणे जानने । बहुरि वर्गशलाका सोलह की दोय, दोय सै छापन की तीन असे एक अधिक जाननी । बहुरि तीहि ऊपरला स्थानक के निकटवर्ती जेथवा ऊपरला स्थानक होइ, तेथवा अन्य धारा विर्षे स्थान होइ, तौ तहां तिस पहिले स्थान ते अर्धच्छेद तिगुणे होइ, जैसे द्विरूप वर्गधारा का द्वितीय स्थान सोलह, ताके अर्चच्छेद च्यारि, अर ताते ऊपरिला द्विरूप धनधारा का तीसरा स्थान च्यारि हजार छिनकै, ताके अर्धच्छेद बारह, असे सर्वत्र जानना । बहुरि वर्गशलाका दोऊ की समान जाननी, जैसे दोय सं छप्पन की भो तीन वर्गशलाका, च्यारि हजार छिन की भी तीन वर्गशलाका हो हैं । बहुरि राशि के जेते अर्धच्छेद होइ, तिनि अर्धच्छेदनि के जेते अर्धच्छेद होइ, तितनी राशि की धर्मशलाका जाननी । जैसे राशि का प्रमाण सोलह, ताके अर्धच्छेद च्यारि, याहू के अर्धच्छेद दोय, राशि सोलह, ताकी वर्गशलाका दोय हैं, असे सर्वत्र जानना । बहुरि जेती वर्गशलाका होइ, तितनी जायगा दोय-दोय मांडि परस्पर गुणिए, तब अर्धच्छेदनि का परिमाण आवै । जैसे सोलह की वर्गशलाका दोय, सो दोय जायगा दोय-दोय मांडि. परस्पर. गुरिगए, तब च्यारि होइ, सो सोलह के च्यारि अर्धच्छेद हैं, सो यह नियम द्विरूप वर्गधारा विर्षे ही है । बहुरि जेते अर्धच्छेद होइ, लितना दुवा मांडि परस्पर गुरिगए, तब राशि का परिमाण. होइ । जैसे च्यारि अर्धच्छेद के च्यारि जायगा दुवा मांडि परस्पर गुरिणए, तब जो राशि सोलह, तीहिका परिमाण आवै । .
वर्गशलाका कहा?.
जेती बार वर्ग कीये राशि होइ, सो वर्ग शलाका है। अथवा द्विरूप धारा विर्षे अर्धच्छेदनि का अर्धच्छेद प्रमाण वर्गणालाका हो है।
बहुरि अर्धच्छेद कहा ?
राशि का जेता बार आधा-प्राधा होइ, सो अर्धच्छेद राशि है । इत्यादि यथा संभव जानना।
बहुरि द्विरूप का धन की आदि देकरि पहला-पहला वर्ग करते संख्या विशेष जिस धारा विर्षे होइ. सी द्विरूप धनधारा है। सो दोय का घन पाठ हो है, सो तो याका पहिला स्थान । बहुरि योका वर्ग चौसाठ, सो दूसरा स्थान । बहुरि याका वर्ग च्यारि हजार छिनवे, सो तीसरा स्थान , सो यहु सोलह का धन है । बहुरि
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