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| गोम्मटसार जीमकाण्ड गाथा १४५
बहुरि ज्ञान मार्गणा विषै कुमति, कुश्रुत, विभंग विषे मिथ्यादृष्टि सासादन का अंतर नाहीं । मति, श्रुत, प्रवधि विषे असंयत का अंतर जघन्य अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्ट देशोन कोडि पूर्व । देश संयत का जघन्य अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्ट साधिक छयासठ सागर । प्रमत्त अप्रमत्त का जघन्य अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्ट साधिक तेतीस सागर । च्यारि उपशमकनि का जघन्य अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्ट साधिक छ्यासठ सागर । च्यारि क्षपकनि का सामान्यवत् अंतर है । बहुरि मन:पर्यय विष प्रमत्तादि क्षीण कषाय पर्यंतति का सामान्यवत् अंतर है। विशेष इतना प्रमत्त श्रप्रमत का अंतर्मुहूर्त, च्यारि उपशमकनि का देशोन कोड पूर्व प्रमाण उत्कृष्ट अंतर हैं । बहुरि केवलज्ञान विषै सयोगी, अयोगी का सामान्यवत् अंतर है ।
बहुरि संयम मार्गणा विषै सामायिक, छेदोपस्थापन विषै प्रमत्त प्रप्रमत्त का जघन्य वा उत्कृष्ट अंतर अंतर्मुहूर्त है। दोऊ उपशमक का जघन्य अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट देशोन कोडि पूर्व श्रर दोऊ क्षपकनि का सामान्यवत् अंतर है । परिहारविशुद्धि विष प्रमत्त प्रप्रमत्त विषै जघन्य वा उत्कृष्ट अंतर अंतर्मुहूर्त है । सूक्ष्मसांपराय विषे उपशमक वा क्षपक का पर यथाख्यात विषै उपशांत कषायादिक का अर संयतासंयत विषे देश संयत का अंतर नाहीं है । असंयम विषे मिथ्यादृष्टि का जघन्य अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्ट देशोन तेतीस सागर । सासादन, मिश्र, असंयत का सामान्यवत् अंतर है ।
बहुरि दर्शन मार्गणा विषं चक्षु, प्रचक्षुदर्शन विषै मिथ्यादृष्ट्यादि क्षीणकषाय पर्यन्तनि का सामान्यवत् अंतर है । विशेष इतना - चक्षुदर्शन विषे सासादनादि च्यारि उपशमक पर्यंतन का उत्कृष्ट अंतर देशीन दोय हजार सागर है । अवधिदर्शन विषै ज्ञानवत् अंतर है । केवलदर्शन विषै सयोगी, अयोगी का अंतर नाहीं है ।
बहुरि लेश्या मार्गणा विषे कृष्ण, नील, कापोत विषे मिथ्यादृष्ट्यादि असंयत
- पर्यतन का जघन्य अंतर सामान्यवत् है । उत्कृष्ट अंतर क्रम तैं देशोन तेतीस, सतरह, अर सात सागर प्रमाण है । पीत, पद्म विषे मिथ्यादृष्ट्यादि श्रसंयत पर्यंतनि का जघन्य अंतर सामान्यवत्, उत्कृष्ट अंतर क्रम तें साधिक दोय अर अठारह सागर हैं । देशसंयत, प्रमत्त, अप्रमत्त का अंतर नाहीं है । शुक्ल लेश्या विषे मिथ्यादृष्टयादि असंयत पर्यंतति का जघन्य अंतर सामान्यवत् है, उत्कृष्ट अंतर देशोन इकतीस सागर है | देशसंयत, प्रमत्त का अंतर नहीं है । अप्रमत्त, तीन उपशमक का जघन्य या उत्कृष्ट अंतर अंतर्मुहूर्त है । उपशांत कषाय, व्यारि क्षपक, सयोगीनि का अंतर नाही है । अश्या विषे अयोगीनि का अंतर नाही है ।