________________
NERALA Syारत
२७० ।
[गोस्मरसार जीयका माथा १२० का आवरण पर वीर्यान्तराय के क्षायोपशम विशेष करि गुण-दोष का विचार, अतीत का याद करना, अनागत विष याद रखना, इत्यादिकरूप भावमन के परिणमावने की शक्ति होइ, ताकौं मनःपर्याप्ति कहिए हैं । जैसे छह पर्याप्ति जानना ।
पज्जत्तीपद्ववरणं, जुगवं तु कभेरण होदि गिट्ठवरणं । अन्तो मुत्तकालेणहियकमा तत्तियालावा ॥१२०॥
पर्याप्तिप्रस्थापन, युगपत्तु क्रमेण भवति निष्ठापनम् ।
प्रांत इतकालेन, अधिकक्रमास्तावदालापात् ॥१२०॥ टीका - जेते-जेते अपने पर्याप्ति होइ, तिनि सबनि का प्रतिष्ठापन कहिए प्रारंभ, सो तो युगपत् शरीर नामा नामकर्म का उदय के पहिले ही समय हो हैं। बहुरि निष्ठापन कहिए तिनिकी संपूर्णता, सो अनुक्रम करि हो है । सो निष्ठापन का काल अंतर्मुहूर्त-प्रतर्मुहुर्त करि अधिक है, तथापि तिनि सबनि का काल सामान्य पालाप करि अंतर्मुहूर्त ही कहिए, जाते अंतर्मुहूर्त के भेद बहुत हैं ।
कैसे निष्ठापन का काल है ?
सो कहै हैं - आहार पर्याप्ति का निष्ठापन का काल सबनि तँ स्तोक है, तथापि अंतर्मुहर्त मात्र है। बहुरि याकौं संख्यात का भाग दीए जो काल का परिमाण प्रावै, सो नी अंतर्मुहुर्त है । सो यहु अंतर्मुहूर्त उस पाहार पर्याप्ति का अंतमुहूर्त में मिलायें जो परिमाग होइ, सो शरीर पर्याप्ति का निष्ठापन काल जानना । सो यह भी अंतर्मुहूर्त ही जानना । बहुरि याहु का संख्यातवां भाग प्रमाण अंतर्मुहर्त याहो में मिलायें इंद्रिय पर्याप्ति का काल होइ, सो भी अंतर्मुहर्त ही है। बहुरि याका संख्यातवां भाग प्रमाण अंतर्मुहूर्त याही में मिलाएं श्वासोश्वास पर्याप्ति काल होइ, सो भी अंतर्मुहूर्त ही है । जैसे एकद्रिय पर्याप्ति के तौं ए च्यारि ही पर्याप्ति इस अनुक्रम करि संपूर्ण होइ हैं । बहुरि श्वासोश्वास पर्याप्ति काल का संख्यातवा भाग का प्रमाण अंतर्मुहूर्त याही में मिलाए भाषा पर्याप्ति का काल होइ, सो भी. अंतर्मुहूर्त ही है। जैसे विकले द्रिय पर्याप्ति जीवनि के ए पांच पर्याप्ति इस अनुक्रम करि संपूर्ण होइ हैं। बहुरि भाषा पर्याप्ति काल का संख्यातवां भाग प्रमाण अंतर्मुहूर्त याही में मिलाएं मनःपर्याप्ति का काल होइ, सो भी अंतर्मुहुर्त ही है । संज्ञी पचेंद्रिय पर्याप्ति के छह पर्याप्ति इस अनुऋम करि पूर्ण हो हैं । असे इनिका निष्ठापन काल कह्या ।
-MARANAMAn
......
n noimmutam
ERIEmaitrinariesna.m............
taM
- S