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... "अभीप्राय”..
विद्युत उपमंत्री,
राजस्थान, . . . . . . . . .
जयपुर,
..: ता. २५-११-१९६८ मुनिराज श्री जिनचन्द्र विजयजी,
' आपने मेजा हुआ " प्रवचनसार कर्णिका" नामका धार्मिक ग्रन्य, गुजराती भाषामें छपा हुआ मीला, .
सधन्यवाद,
विद्वान जैनाचार्य श्रीमद् विजय भुवनसूरीश्वरजी महाराजने प्रस्तुत ग्रन्थ में आत्माको मोक्षमें ले जाने के लीये जो अभिनव प्रयास किया हैं, उसके वदल हार्दिक धन्यवाद,
आपने धर्म, कर्म, और आत्माको समझाने के लिये छोटे बड़े उदाहरनोसे, कथानको से ग्रन्थको रसमय बनाया है। .. यह ग्रन्थ सभी समाजमें माननीय एवं आदर्शरूप बनेगा,
संपादक मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजीने सुन्दर रितिसे संकलन किया है, उसके वदल धन्यवाद । ...... . . एसे ग्रन्थ की हिन्दी भाषामें खूब खूब जरुर हे ।
आपका.... खेतसिंह.
'
..
जीप
मापाय,
- उपाध्यक्ष विधान सभा,
राजस्थान, जयपुर, कोट नं. १३ .
ता. २६-१०-१९६८ .. मुनि श्री जिनचन्द्रविजयजी,
आपने भेजा हुआ " प्रवचनसार कर्णिका, नामका ५०० पेजी धार्मिक ग्रन्थ मीला, ' . आभार, . . . . . . . .
- समाज के विद्वानों में जैनाचार्य श्रीमद् विजय भुवनसूरीश्वरजी महाराज का नाम प्रथम कक्षामें हे ।