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दोनों टाईम के प्रवचन में जनता वढे उमंगसे लाभ लेती थी । चातुर्मास आमंत्रण पत्रिका देशपर देश में रवाना हुई थी, उससे वंदन करने के लिये पधारनेवाले महेमानों की भक्ति के लिये रसोडा खोलने में आया था ।
जालोर डिस्ट्रिक्ट दुष्कालपीडित होनेसे उपधान तपका कार्यक्रम बंद रखा गया था । पू० श्रीके पधारने से राजस्थान में जगह जगह अनेक शासन प्रभावना के कार्य हो रहे हैं । यह सब प्रभाव पूज्य गुरुदेव का है।
हमारे संघकी यही विनती है कि पू० गुरुदेव अपने परिवार के साथ पुनः चातुर्मास करने के लिये सरत में पधारें और सरत, संघको लाभ देंगे ।
प्रवचनसार कर्णिका की गुजराती आवृत्ति हमने पढ़ी । पढ़कर हम प्रभावित हुए। यह पुस्तक हिंदी भाषामें छपाया जाय यह हमारी विनती को मान्य करके हिन्दी भाषा में छपाने का निर्णय पू. श्रीने किया । उसमें हमारे संघकी तरफसे ज्ञान द्रव्यमें से रुपया ५०००) 'पांच हजार देकर श्रुतज्ञान का लाभ लिया । इस हिन्दी पुस्तक के . अंदर सरत चातुर्मास के समाचार दिया जाय । इस विनती को मान्य रखकर हमको आभारी किया । "मंगल विहार........."
काती वद २, गुरुवार सवारे ६-५० मीनीटे पू. गुरुदेव श्री विहार करते ही हजारों भाई-बहन आ गए थे। वाद्यमंडलीने विदाय गीत छेडा और संघकी आँखों में से अश्रुधारा बहने लगी। गाम के वाहर मंगलदेशना सुनायी । संघके २०० भाई-बहन पू. श्रीके साथ २ माइल चलके सुरा तक आए थे । यहाँ स्थानीक संघकी तरफ से भव्य सामया, प्रवचन, प्रभावना आदि हुए थे। पू० गुरुदेवश्रीका उपकार हमारा संघ कभी भी भूल नहीं सकता।
जैन जयति शासनम् । ली० चातुर्मास समिति, मु. पो. सरत, अमरसर
. स्टे० वाकररोड (राजस्थान)