Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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आचार्य सिद्धसूरि का जीवन ]
[ ओसवाल संवत् ७७०-८००
कम से कम एक बार संघ को अपने घर पर बुलाकर उनका सत्कार करना प्रत्येक व्यक्ति अपना खास कर्तव्य ही समझते थे और अपने पास साधन होने पर हरेक महानुभाव संघ निकालकर तीर्थयात्रा करते करवाते थे | यहां पर तो थोड़े से नाम लिखे हैं कि उन महानुभावों का अनुमोदन करने से ही कमों की निर्जरा होगी। साथ में थोड़े से जैनवीरो और वीरांगणाओं के भी नाम लिख दिये हैं कि जैन क्षत्री अपनी वीरता से देश समाज एवं धर्म की किस प्रकार रक्षा करते थे:
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१- आसलपुर के मल्लगौ०
२ - श्राभापुरी के श्रेष्टिगौ० ३ - घंघाणी
के सुघड़गौ०
के वाप्पनागगौ०
४ - जैनपुर ५- आमेर
चार्यदेव के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्ठाएँ
शाह
पादा ने
भोजदेव ने
के लघुश्रेष्टिगो०
६ - मथुरा
के चरड़गौ०
७ – चित्रकोट के श्रदित्यनाग० ८- मधिमा
के
सुचंतिगौ०
९ – ऊकारपुर के
कुलभद्रगौ ०
१० - पोतनपुर
के
चिंचटगौ०
११ - देवपट्टन
१५ - मुलेट
१६ - रोहडा
के
१२—दसपुर १३- चंदेरी
के
१४- गुडोली के
के
१७ - कुकुमपुर के
१८- काच्छली के १९ - जैनपुर के २० - जैतलकोटके
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मोरक्षगौ०
श्रेष्टिगौ०
के लघुश्रेष्टिगो०
के
२४ - मारोट कोटके २५ - पादलिप्सपुर के २६ – भिन्नमाल के
डिडुगौ ० करणाटगौ०
डिडुगौ
भाद्रगौ०
२१ - कीराटकुंप के प्राग्वटवंशी
२२- नंदकुल पट्टन के प्राग्वटवंशी
२३ - वीरपल्ली के
श्रीश्रीमाल
श्रीमालवंशी
प्राग्वटवंशी
बलाह गौ ०
भूरिगौ० सुवर्णकार
ब्राह्मण
सूरिजी के शासन में प्रतिष्ठाएँ ]
15
नागदेव ने
नारायण ने
इन्दा ने
" अनड़ ने
लाड़ा ने
लुगा
ने
गंगदेव ने
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35
15
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लाखण ने
विजल ने
लोला ने
निंबा ने
पर्वत ने
हाप्पा ने
मांझण ने
रोडा ने
ने
कल्हण
खेता ने
देदा ने
कानड़ने
खीवसी ने
कचरा ने
गधा ने
करमण ने
सलखण
ने
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भ० महावीर के म० त्र०
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पार्श्व ०
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सीमंधर०
आदीश्वर पार्श्व ०
महावीर
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शान्ति
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विमल ०
महावीर
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पार्श्व
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पद्यप्रभु
शान्ति०
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महावीर
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