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जगत् स्वरूप
अलर्ट है क्योंकि उसे ये महात्मा खुद पोंछते हैं! आप अलर्ट किसे कहते हो? जन्मे तब दाँत आएँगे या नहीं आएँगे, उसकी चिंता करनी पड़ती है? कल सूर्यनारायण नहीं उगेंगे तो क्या होगा, ऐसी चिंता होती है?
जगत् का क्रियेटर कौन? ___ 'द वर्ल्ड इज़ द पज़ल इटसेल्फ।' अंग्रेज़ भगवान को क्रियेटर कहते हैं। मुस्लिम और हिन्दू लोग भी ऐसा कहते हैं कि भगवान ने दुनिया बनाई है। वह उनके व्यू पोइन्ट से करेक्ट है लेकिन फेक्ट से रोंग है। यदि फेक्ट जानना हो तो हमारे पास आओ। हम गारन्टी से कहते हैं कि यह जगत् किसीने नहीं बनाया है। ऊपर कोई बाप भी ऊपरी (बॉस, वरिष्ठ मालिक) नहीं है जो कि फालतू बैठा-बैठा इस जगत् को चलाता रहे। यह जगत् किस तरह चलता है, कौन चलाता है, वह सिर्फ 'हम' ही जानते हैं। इस जगत में ऐसा एक भी ऐसा परमाणु बाकी नहीं है कि जहाँ मैं नहीं घूमा होऊँ! 'हम ब्रह्मांड के अंदर रहकर और ब्रह्मांड के बाहर रहकर सभी व्यू से डायरेक्ट और पस्पेक्टिव व्यू से देखकर कहते हैं कि ऊपर कोई भगवान नहीं है कि जो यह सब चलाए!
यह जगत् किस तरह चलता है, वह 'हम' आपको संक्षेप में, एक वाक्य में बता देते हैं, विस्तार से आगे समझ जाना। यह जगत् ओन्ली साइन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडेन्स से चल रहा है, कोई नहीं चलाता। पूरा जगत् निमित्त भाव से चल रहा है। कोई स्वतंत्र कर्ता है ही नहीं। और उसमें भी भगवान तो कर्ता हो ही नहीं सकते। यदि भगवान कर्ता होंगे, तो उन्हें कर्म बंधेगे और उन्हें वापस भोक्ता बनना पड़ेगा। यदि भगवान को भी कर्ता-भोक्तापन हो, कर्मबंधन हो, तो उन्हें भगवान कैसे कहा जा सकेगा? तो फिर उनमें और आप में फर्क क्या रहा?
___ यह तो सब गप्पबाज़ी चली है। लोग चाहे जैसे खुद की समझ से चलते हैं। लोग मानते हैं कि इस जगत् का कोई ओर-छोर ही नहीं है, इसलिए जैसी गप्प मारूँगा वैसी चलेगी। लेकिन ऐसा गप्प नहीं है यह जगत् ! जगत् फेक्ट चीज़ है। लेकिन रिलेटिव फेक्ट है और 'खुद' रियल फेक्ट हैं। रियल फेक्ट में 'ज्ञानीपुरुष' बिठा दें, तब फिर अपना 'मुक्तिधाम'