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अनेकान्त-रस-लहरी [इस स्तम्भके नीचे लेख लिखनेका सभा विद्वानोंको मादर आमंत्रण है। लेखका लक्ष्य वही होना चाहिये जिसका निर्देश इस स्तम्भको प्रारम्भ करते हुए पिछली किरणमें किया गया है। -सम्पादक)
में लिया अपच की होगा
बड़ेसे छोटा और छोटेसे बड़ा
अध्यापक वीरभवने दूसरी कक्षामें पहुँच कर उस कक्षा जादूगर ही कर सकता है। के विद्यार्थियोंको भी वही नया पाठ पढ़ाना चाहा जिसे वे अध्यापक-(दूसरे विद्यार्थियोंसे) अच्छा, तुम्हारेमेंसे अभी अभी इससे पूर्वकी एक कक्षा पदाकर पाए थे. परंतु कोई विद्यार्थी इस लाइनको हमारे अभिप्रायानुसार छोटा यहाँ उन्होंने पढ़ानेका कुछ दूसरा ही ढंगफ्रितयार किया। या बड़ा कर सकता है।
सप विद्यार्थी-हमसे यह नहीं हो सकता। इसे तो वे बोर्डवर तीन चीकी -
कोई जादूगर या मंत्रवादी ही कर सकता है। लाइन खींच कर एक विद्यार्थीसे बोले-क्या तुम इस
अध्यापक-जब जादूगर या मंत्रवादी इसे बड़ी छोटी लाइनको छोटा कर सकते हो? विद्यार्थीने उत्तर दिया
कर सकता है तब तुम क्यों नहीं कर सकते? हाँ, कर सकता हूँ और वह उस लाइनको इधर-उधरसे
विद्यार्थी-हमें बसे छोटा और चोटेसे बना करनेका कुछ मिटानेकी चेष्टा करने लगा। यह देख कर अध्यापक
वह जातू या मंत्र माता नहीं। महोदयने कहा-'हमारा यह मतलब नहीं है कि तुम इस लाइनके सिरोंको इधर-उधरसे मिटा कर अथवा इससे
'अच्छा हमें तो वह जादू करना पाता है। बतलायो कोई टुकड़ा तोड़ कर इसे छोटी करो। हमारा भाशय यह
इस लाइनको पहले छोटो करें या बदी?' अध्यापकने पूछा। है कि यह लाइन अपने स्वरूपमें ज्योंकी यों स्थिर रहे,
'जैसी भापकी इच्छा, परन्तु श्राप भी इसे छरें नहीं इसे तुम इचो भी नहीं और छोटी करदो।' यह सुन कर
और इसे अपने स्वरूपमें स्थिर रखते हुए छोटी तथा बड़ी विद्यार्थी कुछ भींचक सा रह गया ! तब अध्यापकने कहा
करके बतलाएँ।' विद्यार्थियोंने उत्तर में कहा। 'अच्छा, तुम इसे छोटा नहीं कर सकते तो क्या बिना छए
_ 'ऐमा ही होगा' कह कर, अध्यापकजीने विद्यार्थीसे बना कर सकते हो।' विद्यार्थीने कहा-'हो कर सकता हूं'
कहा-'तुम इसके दोनों भोर मार्क कर दो-पहचानका और यह कह कर उसने दो इंचीकी एक लाइन उस लाइन
कोई चिन्ह बना दो, जिससे इसमें कोई तोब-जोड या
बदख-सवल न हो सके और यदि हो तो उसका शीघ्र के बिल्कुल सीधमें उसके एक सिरेसे सटा कर बनादी और इस तरह उसे पांच इंचीकी लाइन कर दिया ।
पता चल जाय।' विद्यार्थीने दोनों चोर दो गोल गोल चिन्ह
बना दिये। फिर अध्यापकजीने कहा 'फुटा रखकर इसकी इस पर अध्यापक महोदय बोल उठे--
पैमाइश भी करलो और वह इसके ऊपर लिख दो'। 'बह क्या किया? हमारा अभिप्राय यह नहीं था कि विद्यार्थीने फुटा रख कर पैमाइश की तो लाइन ठीक तीन तुम इसमें कुछ टुकवा जोब कर इसे बड़ा बनायो, हमारा चीकी निकली और वही लाइनके उपर लिख दिया गया। मन्शा यह है कि इसमें कुछ भी जोबा न जाय, लाइन अपने तीनचाके स्वरूपमें ही स्थिर रहे-पांच इंची जैसी इसके बाद अध्यापकजीने बोर्ड पर एक भोर कपड़ा न होने पाये-और बिनाए ही बड़ी कर दी जाय।' बाबकर कहा--'भब हम पहले इस लाइनको बोटी
विद्यार्थी--बह से हो सकता है। ऐसा कोई समाते और बीटी होनेका मंत्र बोलते हैं। साथ ही