Book Title: Anekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 415
________________ अनेकान्त [वर्ष - सभी युवक युवनियोके सतन उपयोगार्थ “नष्टदग्धा- मनुष्य न पैदा होय ऐसा असंख्यात वर्षाका अन्तर पड़ परय न्याय कौन लगाता फिर कोई कम्ण है अन्य सकता है। इसी प्रकार ज्ञान और शेयको खाली रहने दो, देशान्तरमें है। इतर पोषितभर्तृका है। श्राखिर माइयो ? सभी शेयोंको चाहे जिम शानके द्वारा ज्ञात हो जानेके लिये ब्रह्मचर्यव्रत और पाप-कमोदय मी तो कोई चीन है। सांपकी वाथ्य न करो, इमी प्रकार अनन्नशानको भी ठलुना मत पाँचौ इन्द्रिया, विष, दान्त, मुख, सब एक इंचमें बनी बैठो, रही फोकसको भी जानते रहो" यो प्रेरित न करो शेष चार पाँच फुट अायत शरीरका क्या उपयोग करोगे? . "कै हंसा मोती चुगै के मुँखे मर जाय” “गिरीन्द्र सहश प्रत्युपयोगी भी वस्तुका बीस हजारवा भाग तुमको फलप्रद ठलुप्रा गजेन्द्रपर कूड़ा कचड़ा नहीं लादो । वस्तु शेष यों ही बह रहा है नष्ट हो रहा है। समीचीन दृष्टि वैचित्र्यपर व्यर्थ क्यों टांग अड़ाते हो" अनहोनीको पखारिय। कर लोगे क्या ? "स्थाद्वादप्रविभक्कार्थविशेषव्यञ्जको नयः" बयत्में योग पाले जीव अनन्तानन्त है और योग (समन्तभद्रः)"वस्त्वंशमाही शातुभिप्रायो नयः (प्रभाचन्द्रः) जानि अपेक्षा केवल श्रेणीके असंख्यातवें भाग प्रमाण यो नयोंके द्वारा नेय हो रहे विषयोंको भी सर्वज्ञ नहीं जानते कुल प्रख्याते हैं। फिर भी असंख्याते योग खाली पड़े है है। क्यों कि ये तो भा :मन वाले या इच्छावाले संशी जीवों बअन्तर बाले.योगोंका कोई भी जीव स्वामी नहीं है। के सद्विचार है। श्रीसिद्ध भगवान्के न भावमन है इच्छायें कर्मभूमिकी किसी भी स्त्री अंगों में एक भी लब्ध्वयपर्यातक भी नहीं है। (क्रमशः) जयपुरमें एक महीना -[ पं० परमानन्द जैन शाली ] ...भामर और जयपुरके चारों विषय में यह प्रसिद्धि समपुर रामपूतानेका एक प्रसिब शहर है। इसकी .. किसासमंडार प्राचीन है, इनमें संसात माइतके प्राचीन बसासव अच्छे इंगसे.की गई। शहरमें सफाईकी प्रगमचा संग्रह और कितने ही ऐसे अपूर्व जैनब और अधिक ध्यान दिया जाता है, जो, स्वास्थ्यके लिये मी जिनका नाम बोगोंगे मालूम नही और जिन्हें मावश्यक यह मगर जैनियोंका प्रधान केन्द्र रहा है, प्रकाशमान बाकी बचीजस्तकिबीरसेबामन्दिर पर्तमानमें भी संभवतः पाँच मारकरीब नियोंकी दिगम्बर बाँकीएकमुकम्मद सूची और प्रशस्तियाका एक प्राचावी होगीकबाकी शिसे भी जबपुरका कम महत्व उत्तम संग्रह प्रकाशित करना चाहता है. जिसका बहुत कुछ नहीं संवा जैमसमाज यहां किसमेही प्रतिक्षित संसान होक, मखिये मुस्वार साहब मुझे साथ धर्मात्मा और गर मान व्यक्ति होगये हैं। कितने ही जैन सेकनपुर जाना चाहते थे और इन दोनों स्थानों 'दीवान' जैसे उस परपर मालीन रह चुके, जिनमें विशाबाको देखना हो। कारण मुन्सार अमरचंदजीका मामलासतारले उल्लेखनीय है। प्रापब सा.इस समय बापुरमा समेतबहान झुकेही ही विमपी वर्मनिट और देशसेवक थे। भापक विषयमें मेशचा उचित समझा। वहुसाह .0ोतको बहसुना जाता कि मापने अपपुरकी रक्षार्थ अपने जीवन सरसोबासे पाहवी होता हुचा .15 की माम उत्सर्ग किया है। अतः यहां कई मंदिर और शाम की जयपुर और दि. जैन महाविद्यालयमें . भंडार देखने योग्य विद्वानोका.यहाँ हार बमबह रहा मित्रवर.मुख्यालय एक महीने का स्वर्गीय पं.होडणवानीकी का विमोचन निर्माण

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