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किरण ५]
स्वागत भाषण
शिष्टाचार ही है। क्योंकि भारत बीमा कम्पनीका श्रीमान् गजेन्द्रकुमारजीकी समाज सेवाएं भी बहुमूल्य नवनिर्माण और भारतबैंकका संचालन कर के हैं और राष्ट्रभाषा हिन्दीके लिये भी उनकी शक्तियोंका वे जनताके हृदयों नक पहुंच गये हैं और देशके सदा उपयोग हुआ है। मुझे आशा है कि उन की विद्वान और नेता उनकी प्रतिभाशीलता को आदरके संरक्षकता में यह महत्वपूर्ण उत्सव पूर्णतया सफल साथ स्वीकार कर चुके हैं। श्रमान राजेन्द्रकुमारजी होगा और इससे साहित्यके रत्नोंकी खोजका पथ प्रशस्त उन लोगोंमें हैं, हमारे राष्ट्र की उन विभूतियों में है, होगा। जिन पर सारे देशको गर्व है और जिन्होंने अपनी
उपसंहार इस स्थिति का निर्माण अपनी प्रतिभा और पुरुषार्थ से
मैंने आपका बहुत सा समय लिया, अब अन्तमें स्वयं किया है। आजके उत्सवके सभापतित्वके लिये, तो उनका
मैं फिर इस कृपके लिये अपनी समितिकी ओर से नाम बहुत ही उपयुक्त है। मैंने ऊपर निवेदन किया
आप का आभार मानते हुए आपका हार्दिक स्वागत था कि विचारक, जातियों के जीवनकी रक्षा करते हैं
करता है और अपने सुयोग्य सभापति श्रीमान राजेन्द्र और अन मैं कहना चाहता हूँ कि व्यावमायिक उस
कुमारजीसे यह प्रार्थना कि वे कृपाकर अपना श्रासन जीवनको दृढ़ बनाते हैं, इस प्रकार विचारक और
ग्रहण करें और कार्यक्रमका संचालन कर श्रीमान व्यावसायिक हमारे जातीय जीवनके दो विशाल
माननीय विद्वदूर पण्डित जुगलकिशोरजी मुख्तार स्तम्भ हैं। इस प्रकार यह एक स्वर्ण संयोग है कि एक महोदयके इस सम्मान महोत्सवको सफल कर हमें विचारक विद्वानके सम्मान महोत्सवका नेतत्व एक अनुगृहीत करें। व्यावमायिक नेता करें । व्यावसायिक नेतृत्वके साथ * धार्मिक पुस्तकोंके मिलनेका अभाव होते जानेपर भी- *
(१)भविष्यदत्तसेठ १०॥2)का) (२)चन्दन वालासेट ६)का ४११) (३)सत्यमार्ग संट८-)|का ६॥ सुरसुन्दरी नाटक २) सनी चन्दनबाला
सत्यमार्ग नवीन जिनवाणी संग्रह सत्यघोषनाटक
जिनवाणीसंग्रह भविष्यदत्तच स्त्र रत्नमाला
रत्नकरंडश्रावकाचार
द्रव्यसंग्रह धन्यकुमारचरित्र अंजन सुन्दरीनाटक
नित्यनियमपूजा भाषा समन्तभद्रचरित्र प!षणपर्व ब्रतकथा
ऋषभदेवकी उ. सूत्रभक्तामर १० पु. ११) भादौं जैनपूजा
जैनधर्ममिद्धान्त किशन-भजनावली २ जिनवाण गुके
विशाल जैनसंघ चाँदन गांव-कीर्तन हितैषी गायन
श्रात्मकमनोविज्ञान बारहमासा अनन्तमती जैनभजनसंग्रह
अतिशयजैनपूजा दीपमालिकापून अनन्तमती-चीरित्र
चारचित्र हस्तिनागपुर-महात्म्य रलकरएडश्रावकाचार
रायबनकथा बड़ी * सम्मेदशिखरपूजा बड़ी )| महस्रनाम भाषाटीका ॥ | विनती विनोद
श्री वीर जैन पुस्तकालय, १०४ वी नई मंडी मुजप्रफरनगर (यू० पी०) . नोट-नं०१सेट दस रुपये ग्यारह मानेका पाठ रुपयेमें। नं.२ सेट सवालह रुपयेका पौने पाँच रुपये में ।
नं.३ सेट आठ रुपये साढे पाँच भानेका सषा छह रुपयेमें ।
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