Book Title: Anekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 392
________________ किरण १०-११] चाहे, संतान उत्पन्न कर सकती हैं। अपनी संतानको जैसी चाहे, बना सकती हैं। आपकी इस छोटी सी सन्तानको ही एक दिन बड़ा बनकर, देशका नेता बनना है--उसे उन्नति-मोपानपर पहुँचना है । कौम को उठानेवाली, आप ही तो हैं । एक विद्वान अंग्रेज के शब्दों में देखिए- Mothers are builders of nation. कौमको बनानेवाली माताएँ ही होती हैं। संतानशास्त्र के शब्दों में, दुनियाको वीर, महात्मा, धर्मात्मा श्रोंकी प्रदान करनेवाली आप ही तो हैं । दुनिया के रंग मंचको समय समयपर भाँति भाँतिकी क्रान्तिक देनेवाली आप ही तो हैं !! सृष्टिके आदि प्रवर्तक व्यवस्था के स्थापक, भगवान ऋषभदेवके मातृत्वका सौभाग्य आप हीको तो प्राप्त हूँ । महाराज भरत जैसे गृह-बैरागी और बाहुबलि जैसे वीरयोद्धाओं ने आपको ही श्रवणप्रिय 'माता' के मधुर नामस पुकारा था। हिंसाका सन्देश सुनाकर विश्वशान्ति स्थापित करनेवाले, संसारके महान क्रान्तिकारक, भगवान् यहावीरको आपने ही एक दिन अपनी पवित्र गोद में खिलाया था । सीता, अंजना तथा राजुल आदि गौरवका श्रेय आपको ही है । अनेक वीर ललनाओं तथा असंख्य मर मिटनेवाले वीर योद्धाओं बहनोंक प्रति की पवित्र कोख से जन्म लिया है । राष्ट्रीय जगतमें हलचल मचाने वाले महात्मा गांधी तथा पं0 जवाहरलाल नेहरू आदि देशभक्तोंको आपने ही भारतवर्षको दिया है। फिर भी, आप अपनेको अबला तथा योग्य समझें ? है न यह आपके ऊपर पुरुषोंके अनवरत दबावका परिचय !! अपनी कमजोरीके भावोंका सक्रिय रूप !!! नहीं बहनों, आप कमजोर तथा अयोग्य नहीं हैं। आप पुरुषोंसे किसी भी दशा में कम नहीं हैं, वरन किसी किसी दृष्टिसे तो स्त्रियाँ पुरुषों से भी कहीं अधिक आदरणीय तथा पूजनीय हैं। संसार में सबसे प्रिय तथा पूजनीय 'मातृपद' आपको प्राप्त है । आइए, स्वाभिमानका गीत गाइए ! अपनेपनको याद करिए !! बहिनों अपनी मूर्खताका शिकार होकर, ३४६ चाँदी-सोनेके भूषणोंक लिए आग्रह न करके, अपनी श्रम सञ्जिता लक्ष्मीको बचाइए - चाँदी सोनेकी जंजीरोंमें जकड़कर अपने शरीरक स्वास्थ्यको धक्का न पहुँचाइए | यदि आपमें गुण हूँ- आप सुशिक्षिता हैं, सुशीला हैं तो आपके पास अमूल्य भूषण हैं । किसी अंग्रेज विद्वान्‌का कथन है कि Beauty requires no Ornaments सुन्दरताको भूषणों की कोई आवश्यकता नहीं है। आपको फ़ैशन की दासी न बन कर, सादगीको अपनाना चाहिए । शुद्ध स्वदेशी वस्त्रोंका उपयोग करना चाहिए | सब, शुद्ध स्वदेशी वस्तुयोंका ही उपयोग कर अपने देशका पैसा बचाना चाहिए - अपने देशकी आज़ादीकी लड़ाई में हाथ बटाना चाहिए। नित्य प्रति नियमसे चर्खा कातना चाहिए। सरलताको अपने जीवनका ध्येय बना कर, उसको पूर्ण रूपसे जीवनमें उतार कर दिखाना चाहिए । उच्च, पवित्र तथा कोमल विचारों को अपने हृदय में स्थान देना चाहिए। विलासिताका वहिष्कार कर डालना चाहिए। क्यों कि बिलामिना ही अनेक दोषोंकी जननी है । इसका त्याग करके, सादगीको अपनाने से मनुष्य अनेक दोषोंसे बच सकता है । अपने जीवनके ध्येय, एक अंग्रेज विद्वान् के कथनानुसार बनाइए – Simple living and high thinking' अर्थात 'सादा जीवन और उच्च विचार' सादा जीवन बनाओ और उच्च विचार रखो । आपको अपने गृह कायोंसे घृणा नहीं करनी चाहिए। अपने प्रत्येक कार्यको स्वयं करना चाहिए । अपने घर के कामोंको स्वयं अपने हाथोंसे करनेको निर्धनता तथा गरीबी और नौकरोंमें कराकर आप बेकार बैठ जानेको अमीरीका चिन्ह समझना, एक महान भूल और मूर्खता नहीं तो और क्या है ? मैं तो कहता हूँ कि कोई चाहे निर्धन हो, चाहे धनवान, घरका काम बहनोंको घरकी पूर्ण अधिकारिणी - गृहणी को ही करना चाहिए। इसमें निरादर तथा गरीबीको कोई बात नहीं है। यदि उपरोक्त संकुचित विचारको अपनाकर आप अपने गृह-कायोंसे घृणा करेंगी, तो

Loading...

Page Navigation
1 ... 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436