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श्रीसमन्तभद्राय नमः
वीर-शासन-जयन्ती-महोत्सवके लियेअनेकान्तके अद्वितीय विशेषांककी योजना
अनेकान्तके पाठकोंको इतना तो मालूम है कि अगली (१) वीरशासनकी भूमिका- अर्थात वीर और वीरवीरशासन-जयन्ती श्रावण कृष्णा प्रतिपदादिको राजगृह शासन के अवतारसे पहले देशकालको पारस्थिति (वर्तमान राजगिरि) के उस पावन स्थान पर एक महोत्सव अथवा वह स्थिति जिमने वीर और बीरशासन के रूपमें मनाई जायगी जहाँसे वीरशासनकी सर्वोदय-तीर्थ- को जन्म दिया:धारा प्रवाहित हुई है और उसके साथ ही जैनसाहित्य- (क) विदेशी विद्वानों द्वारा उक्त परिस्थितिका प्रदर्शन । सम्मेलन तथा जैन साहित्यिक प्रदर्शिनी की भी योजना (ब) भारतीय विद्वानों द्वारा उनपरिस्थितिका दिग्दर्शन रहेगी । अब उन्हें यह जानकर अधिक प्रमाता होगी कि (ग) प्राचीन हिन्दू, बौद्ध तथा जैनमाहिस्य परम तत्काउस अवसर पर अनेकान्तके संचालकोंमे अनेकान्तका एक
लीन परिस्थितिका संकलन । ऐसा मचित्र विशेषाङ्क निकालनेकी भी योजना की है जो (घ) परिस्थिति सूचक सब प्राधारॉपरसे नया सारअब तकके अनेकान्तके इतिहासमें ही नहीं किन्तु जैनपत्रोंके
संकलन । इतिहास में भी अभूतपूर्व एवं अद्वितीय महस्वको लिये हुए (6) वीरके अवतार काल-समयकी मांग। होगा, और जिसे वीरशासन तथा वीरशासनके उपासकों- (1) बीर और वीरशासनका संक्षेपमें व्यापक परिचयअनुयायियोंका संक्षेप में परिचय-ग्रंथ अथवा रिफ्रेंसबुक (क) वीरका वंश तथा कौटुम्बिक परिचय । (Reference book) कह सकेंगे। इस विशेषाङ्कका (ब) वीरका जन्म, जन्मोत्सव और बाल्यकाल । नाम 'वीरशासनाङ्क' होगा यपि यह काम बहुत बड़ा है (ग) वीरकी जिनदीक्षा, तपश्चर्या, उपसर्गविजय और और समय थोडा है-महोत्सबके दूसरे कार्योंकी गुरुना भी
केवलज्ञानकी संप्राति । कुछ कम नहीं, फिर भी यह महान् उपयोगी कार्य इस हद () वीरका मौन विहार, समवसरणमभा, गौतमादि विश्वासके साथ हाथमें लिया गया है कि वीरशासनके प्रेमी
गणधरोंकी सम्प्राप्ति और वीरवाणीका अवतार । और अनुयायी विद्वान् तथा ऐतिहासिक और साहित्यिक जन
प्रधान गगाधर गौतम-द्वारा वीरवाणीकी द्वादशांग शीघ्र ही इसमें अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे, अपने
श्रतरूप रचना । अपने योग्य कार्योंको खुशीसे बाँट लेंगे और इस तरह बहुत (च) वीरका चतुर्विध संघ । से विद्वान् एक साथ काममें जुटकर इसे सुगम तथा स्वरूप (1) वीरकी लोकसेवा, अर्थात वीरका सेवामय जीवन, समय-साध्य बना देंगे और संचालकोंके लिये अधिक चिंता
वीरका वीरत्व। का अवसर न आने देंगे। यह एक महान् सेवा-यज्ञ प्रारम्भ (ज) वीरवाणी-द्वारा प्ररुपित विषयका बादको चार मनुकिया गया है जिसमें सभी विद्वानोंको लेखरूपमें अपनी २
योगों में विभाजनपाहुति देनी चाहिये। यह विशेषाङ्ग मुख्यतया चार भार्गों १-प्रथमानुयोग (कथानुयोग) और उसका प्रतिपाच में विभक्त होगा, जिनमें निम्न विषय और उपविषय रहेंगे:
विषय ।