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अनेकान्त
[वर्ष ६
२-करणानुयोग और उसका प्रतिपाच विषय ।
सुधर्मा स्वामी भादिगणधर । ३-चरणानुयोग और उसका प्रतिपाच विषय ।
२-उत्तरकालीन प्राधार स्तम्भ--श्रीनन्दि नन्दि ४-म्यानुयोग और उसका प्रतिपाय विषय ।
मित्र, अपराजित. गोवर्धन और भद्रबाहु (म) १-वीरका तत्वज्ञान और उसकी दूसरे दर्शनोंसे
ऐमे पंचतकेवली आदि । सुखना, २-वीरका विकासवाद ३-धीरका स म्य
भद्रबाहु श्रुतकेवलीफे बाद दिगम्बर-गोताम्बर बाद. ४-वीरका अहिंसावाद,५-वीरका भनेकांत
संघभेद गण-गरछादि भेदबाद, ६-धीरका अपरिग्रहवाद -वीरका संदेश ।
(क) दिगम्बर शाखाके प्रधान प्राधार स्तम्भ (ब) वीरशासनकी कुछ खास बातें जैसे-१-अहिंसा
और उनके द्वारा निर्मित साहित्य । और दया, २-अनेकान्त और स्याद्वाद, ३-कर्म
(ख) श्वेताम्बर शाखाके प्रधान प्राधार स्तम्भ
और उनके द्वारा निर्मित साहित्य। सिद्धान्त, १४ गुणस्थान और १४ मार्गणा, -स्वावलम्बन और स्वतन्त्रता, ५-पारमा और
(४) वीरशासनकी वतेमान सम्पत्तिका संक्षिप्त परिचयपरमारमा, १-मुक्ति और उसका उपाय (मोक्ष
(क) जैनतीर्थक्षेत्र-नाम और कहाँ कहाँ स्थित तथा
अति संक्षिप्त परिचय। और मोक्षमार्ग), ७-समता और विकास ।
(ख) जैनअतिशयक्षेत्र-नाम और कहाँ-कहाँ स्थित (e) वीरशापनकी उदारता और उसमें विश्वधर्म बनने
तथा अति संक्षिप्त परिचय । की चमता।
(ग) जैनमन्दिर-कहाँ-कहाँ स्थित और उनकी प्राम(३ वीरशासनका तत्कालीन और उत्तर कालीन
बार संख्या। प्रभाव
(ध) जैनमूर्तियाँ-मूर्तियोंको विशेषताका दिग्दर्शन, (क) वैदिक संस्कृति, वैदिक रीति-रिवाज और वैदिक .
जैनतीर्थों और जैनमन्दिरोंके अलावा और कहाँ साहित्य पर प्रभाव।
कहाँ जैनमूर्तियाँ पाई जाती हैं। जैसे म्यूजिमों (स) बुद्ध देशना, बुद्ध-संघ, बौद-संस्कृति और बौद्ध
पादिमें। साहित्य पर प्रभाव ।
() जैनशास्त्रभंडार- कहाँ-कहाँ स्थित हैं और (ग) दूसरे सम्प्रदायों, धर्मगुरूनों और उनके साहित्य
किस स्थिति में हैं१२ प्रत्येक भण्डारकी प्रानुपर प्रभाव।
मानिक ग्रन्थसंख्या। ३ विदेश की बायोरियों (घ) सर्व साधारण जनता और राजाओं पर प्रभाव ।
में स्थित हस्तलिखित जैनम्रन्थ। ४ भारतीय (क) स्त्रियों की पराधीनता और अधिकार-हीनता पर
पब्लिक अथवा प्रजैन लायोरियों में स्थित हस्त भारी प्रहार।
लिखित जैनग्रन्थ । ५ विभिन्न गृहस्थों अथवा () शूद्रोंके पीडनमें रोक, उनके मानवीय अधिकारों
साधुनोंक पास पाये जाने वाले महत्वके अप्रकाकी स्वीकृति और उनके उत्थानका मार्ग प्रशस्त।
शित जैनप्रन्य। () अनेक प्रकारके प्रचलित वहमोंकी निराकति ।
(1) वे स्थान जहां कोई भी वीरशासनका अनुयायी (ज) जलसंस्कृति और भारतीय संस्कृतिक निर्माणमें
अर्थात् जैनी रहता हो-प्रामादिकके नाम जिले वीरशासनका हाथ।
के नाम सहित। (म) वीरशासनके प्रमावसे मोत-प्रोत वीरशासनके (8) जैनियोंके वर्तमान संघ-गण-गच्छादिक (विलुप्त9) सत्कालीन और (२) उत्तरकालीन भाचार
गणगच्छादि सहित)। स्तम्भ
(M) जैनियों के शिक्षाकेन्द्र--विद्यालय, पाठशाखाएँ, -तत्कालीन भाधार स्तम्भ-गौतम स्वामी,
बोटिंगहाउस और गुरुकुछ प्रादि, नाम तथा