________________
किरण ५]
अनेकान्तके विशेषाङ्ककी योजना
स्थानसहित।
३-प्रो. हीरालाल जैन एम. ए. किंगपडवई कालिज (म) जैनियोंकी सभा-मोसाइटियाँ---नाम और स्थान
अमरावती (बरार)। के निर्देश सहित ।
४-५० कन्हैयालाल मिझ 'प्रभाकर', विकास लिमिटेड (ब) जैन पर्व, उत्सव और स्यौहार।
सहारनपुर। (ट) जैनियोंकी वर्तमान स्थितिका अनेक दृष्टियोंसे -जुगलकिशोर मुख्तार (वर्तमान सम्पादक)।
सिंहावलोकन, जैसे धार्मिक, २ सामाजिक. अत: वीरशासनके प्रेमी साधुनों सद्गृहस्थों, विद्वजनों ३ शार रिक, ४ नैतिक, व्यापारिक, आर्थिक रिसर्च स्कालरों, सुलेखकोंसे सानुगध निवेदन है कि वे और ७ राजकीय ।
इस कार्यकी महत्ता और उपयोगिताको ध्यानमें रखते हुए (8) जैनपत्र और पत्रिकाएँ--प्रचलित अप्रचलित अपने-अपने लेखों तथा कार्योंका चुनाव करके उन्हें शीघ्र मबके नाम प्रकाशन-स्थान-सहित ।
ही संकलित करके भेजमेकी कृपा करें। साथ ही, अपने (३)प्रकाशित जैनग्रन्थोंके नाम-- दिगम्बरग्रन्थ, परिचय तथा प्रभावक्षेत्रमें स्थित दूसरे विद्वानोंको भी इसमें २ श्वेताम्बरग्रन्थ ।
पूर्ण सहयोगके लिये प्रेरित करें। और इस तरह विशेषाको (द) जैन शिलालेख---जैनमान्दमि स्थित मूर्तियोंके पूर्ण सफल बनाने के लिये कोई भी बात उठान रखें यह सब
शिलालेखोंको छोड़कर, जो असंख्य है, अन्यत्र उनकी वीर-शासन सेवा और वीरभक्तिका प्रधान अंग होगा। कहां-कहां शिलालेख पाये जाते हैं। प्रकाशित
कुछ जरूरी सूचनाएँ जैनशिलालेखोंकी स्थान-सूचना, ग्रन्थों जर्नलों
(1) विशेषाङ्ककी पृष्ठ संख्या अपने वर्तमान प्राकार पत्रादिकोंके नामसे।
में ५०.के लगभग होगी और मूल्य अलग विशेषाङ्कका (ण) जैनताम्रपत्र और शाही फर्मान--कहां-कहां पर कमसे कम ५)रु. और अधिकसे अधिक ६) रु. होगा, उपलब्ध है।
परन्तु जो इस छठे वर्षमें अनेकान्तके ग्राहक हैं और अगले (त) सरकारी मनुष्य गणनाकी दृष्टिमें जैनसमाज,
वर्ष भी ग्राहक रहेंगे उन्हें यह सातवें वर्षका प्रारम्भिक विशेषा और उसकी अपूर्णताका दिग्दर्शन--जैसे बडौत
भेटस्वरूप ही दिया जायगा। परन्तु जिन्हें दूसरे सजनोंकी में किसी जैनीका न होना।
ओरसे छठे वर्ष में अनेकान्त फ्री भेजा जा रहा है उन्हें यह विषयोंके इस निदर्शन परसे सभी विद्वान् अपने अपने विशेषाङ्क पहले मूल्य पर क्री नहीं दिया जा सकेगा। योग्य विषयाका सहज हीमें चुनाव कर सकते हैं। जो (२) विशेषामें हिन्दी लेखोंके साथ कुछ महत्वके विद्वान् जिन-जिन विषयों पर लिखना चाहें--लिखनके अंग्रेजी लेख भी रहेंगे, दूसरी भाषाओंके लेख हिन्दीमें लिये प्रस्तुत हो-वे कृपया पहलेसे ही उसकी सूचना अनुवादित होकर ही दिये जा सकेंगे। सम्पादक मण्डलको देकर अनुगृहीत करें, जिससे कार्यका (३) लेख वे ही स्वीकार किये जायेंगे जो व्यक्तिगत ठीक भन्दाजा होसके और समयके भीतर भवशिष्ट विषयों प्रारूपोंसे रहित होंगे तथा जिनका ध्येय मात्र किसी धर्म, को भी लिखानेकी योजना की जासके।
समाज अथवा सम्प्रदायकी निन्दा न होकर वस्तुस्थितिका इस विशेषाङ्कके सम्पादनार्थ एक सम्पादक मण्डलकी मम्यक् अवबोधन एवं स्पष्टीकरण होगा। योजना की गई है, जिसके निम्न सदस्य होंगे और हेड- (५) लेख, जहाँ तक भी होसके भाकारमें छोटे प्राफिम वीरसेवामन्दिर सरसावा रहेगा:
और अर्थ में बड़े होने चाहिये अर्थात् उनमें संक्षेपतः अथवा १-डा. वासुदेवशरण अग्रवाल एम. ए. डी. लिट. मूत्ररूपसे मरने-अपने विषयका अधिकसे अधिक समावेश क्यूरेटर म्यूजियम लखनऊ।
किया जाना चाहिये। २-डा. ए. एन. उपाध्ये, एम. ए., डी. लिटः (५) जो लेख इस विशेषाशके लिये भेजे जायें उन राजाराम कालिम, कोल्हापुर ।
पर स्पष्ट शब्दों में "विशेषाङ्कके लिये लिखा रहना चाहिये