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अनुकरणीय 'अनेकान्त' के व्यवस्थापकत्वका भार ग्रहण करते समय मैंने यह संकल्प लिया था कि जैन धर्म के व्यापक प्रचार और धर्म के बारेमें फैली हुई रालतफहमियों के लिये यह आवश्यक है कि 'अनेकान्त' जैस पत्रको हम अजैन विद्वानों और संस्थाओंको अधिकसे अधिक संख्यामें मुफ्त भेट कर सकें। इसी हेतु मैंने समाजके दानी महानुभावोंसे आर्थिक सहायताकी अपील की थी उसीके परिणाम स्वरूप अनेक बन्धुओं ने अपनी ओरसे थोड़े २ स्थानोंपर 'अनेकान्त' मुफ्त भेजनेकी स्वीकारता प्रदान की है और अनेक बन्धु कर रहे हैं तथा कुछ बन्धुओंसे अभी भी पत्र व्यवहार हो रहा है । जिन बन्धुओंने स्वीकारता दे दी है उन की ओरस हम कहां २ 'अनेकान्त' फ्री भेज रहे हैं, यह पिछलीदो किरणोंमें निकल चुका है उससे आगे किनकी ओरसे कहाँ भेजा जा रहा है यह यहां प्रकाशित होरहा है। दानी महानुभावोंका 'अनेकान्त' संचालक मण्डलकी ओरसे मैं आभारी हूँ और अन्य दानीबन्धुओं प्रार्थना करता हूँ कि वह जिनवाणी प्रचारके इस कार्य में हमें अधिकसे अधिक सहयोग प्रदान करें।
-कौशलप्रसाद जैन व्यवस्थापक छठे वर्ष में 'अनेकान्त' के सहायक श्री सेठ गुलाबचन्दजी मा०मजि.भैलसा
गत चार किरणों में प्रकाशिन सहायता के अतिरिक्त भार भेलसेक प्रमिद्ध समाजसेवी श्री सेठ राजमलजी जो और सहायता नकद नया वचन रूपमें प्राप्त हुई है वह
बडजात्या के पुत्र है अापने इस वर्ष 'अनेकान्त' के सहायक निम्न है, दातार महोदय धन्यवाद के पात्र हैं:
बनाने में बड़ा सहयोग दिया है और स्वयं भी १० स्थानों १५१) श्री सिंघई धन्यकुमारजी कटनी
पर 'अनेकाम' फ्री भिजवाकर सहायक बने हैं। ५६) श्रीमन्न सेट लक्ष्मीचन्द जी भेनसा
-व्यवस्थापक २१) बा. लालचन्दजी जैन एडवोकेट रोहतक १५) श्री मुकनलाल इन्द्रचन्दजी बोगरा
(३१) श्री हेमचन्द्रजी एडवोकेट अजमेरकी ओरसे(पिछली १०) की सहायता के अतिरिक्त)
१ लागवेरियन पब्लिक लागवेग, अजमेर ३) श्री मोदी लक्ष्मीचन्द दुलाचन्द जैन भन्नमा
२ दी गवर्नमंट कालेज लायबेग, अजमेर 'अनेकान्त' के लिये कन्ट्रोल रेटपर काग़नका प्रबन्ध
३ दी एडीटर इनचंफ कैटेलीगस कैटेलोग्रम यूनिवर्सिटी करने में हमें श्रीलाल शुगलकिशोर मालिक मैमर्स धूमामल
श्राफ मद्राम, मद्राम धर्मदासजी देवलीने जो सहयोग अभी तक दिया है और
४ लायारियन एगगकलचर कालेज, नागपुर सी. पी.
५ लायबेरियन मनातनधर्म कालेज, लाहौर देरहे हैं उसके लिये 'अनेकान्त' संचालक मण्डन उनका।
६ बनारसीदाम कालेज लायबेग, अम्बाला केण्ट हृदयसे अाभारी है।
-व्यवस्थापक (३०) संठ नानूलालजी पाटनी c/o श्रीयुत अशुद्धियोंके सम्बन्धमें
___ मोहनलाल मोतीलालजी भेलसा ग्वालियर इस अंक में जहाँ अब तक हई अशद्धियोंके १ लायबेरियन पटना यूनिवर्सिटी, पटना (बिहार) प्रायश्चित्त स्वरूप कहीं भी कोई अशुद्धि न होनी
२ लायबेरियन लखनऊ यूनिवमिटी, लम्वनऊ चाहिये थी, वहाँ दुर्भाग्यवशशीघ्रता और कर्मचारियों ३
र ३ लायब्रेरियन महागना कालेज, जयपुर के अभावमें और भी विशेष अखियाँ रह गई। ४ लायरियन डी.ए.वी. कालेज, लादार जिनके लिये हमें भारी संकोच अनुभव होरहा है। ५ बद्रा
नभव र ५ बद्रीयमाद पब्लिक लायब्रेरी सूजीमण्डी फिरोजपुर केण्ट, 'हमारे सहयोगी' शीर्षकमें पृन १६७ पर श्री अहदास (३३) श्री लच्छीरामजी C/ अयोध्याप्रसाद प्रभुदयाल जीके परिचयमें तो कई एक शब्द अशुद्ध छप गये हैं, जी भेलसा जिनका हमें बड़ा खेद है। आशा है पाठक उन शब्दों १ लायब्रेग्यिन युवराज पब्लिक लायरी, उज्जैन को ठीक मुहावरे में पढ़कर हमें क्षमा करेंगे। (३४) श्रीमंत मेठ मिताधराय लक्ष्मीचन्दजी भेलसाकी व्यवस्थापक, श्रीवास्तव प्रेस
ओरसे
अगली किरणमें