Book Title: Anekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 368
________________ । वार्षिक मूल्य ४) १० - इस किरणका मूल्य ) . नीतिविरोधातासोम्यवहारवर्तकसम्पर। पत्मागमस्यबीज भुक्नेकगुरुर्जपत्पनेत 3- REFENEmaem.saacaamanarma -T amariawarram a n . बीरसेवामन्दिर (समन्तभद्राभम) सरसावा जिला सहारनपुर ज्ड, भाषावयष्य, बीरनिर्वाह संवत् २५.०, विक्रम सं.... किरण १०-११ 'समन्तभद्र-भारतीके कुछ नमूने [ २२॥ श्रीधारिष्टनेमि-जिन-स्तोत्र भगवानृषिः परमयोग-वहम दुन-कस्मन्धनः । ज्ञान-विपुल-किरण सकलं प्रतिबुध्य बुद्ध-कमळायतेचयः ॥१॥ हरिवंश-केतुरमवय-विनय-दमतीधे-नायकः। शीब-जबधिरभवो विमवस्त्वमरिष्टनेमि-जिनकुजगेऽजगः ॥२॥ 'विकसित-कमलदलके समान दीर्ष नेत्रोंकेशरक और हरिवंशमें बजरूप हे अग्टिनेमि-जिनेन्द्र ! आप भगवान-सातिरायाज्ञानवान- ऋषि-दिसम्पन-और शीशसमुद्र-अठारह बार शीलोंके पारक-ए मापने परमयोगरूप शुकण्यानाग्निसे कामवेन्धनको-शानावरमादिरूप कर्मकारटको-भस्म किया है और जानकी विपुल (निरपशेषयोतनसमर्थ विस्लीय) किरणोंसे सम्पूर्ण जगत अथवा लोकालोकको 'जानकर पाप निदोष (मायादिरहित) विनय तथा पमरूप तीके नायक हुए-आपने सम्यग्दर्शन-शान-बारित्रतप और उपचाररूप पंचपकारके विनय तथा पंचेन्द्रियजयरूप पंचमकार दमनके प्रतिपादक प्रवचन-तीर्थका प्रवर्तन । किया है।(साव हो) आप जरासे रहिस और भवसे विमुक हुए।

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