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हमारे सहयोगी
किरण ५ ]
आपके साथ होने का अर्थ है कहीं भी विरोध न होना समिति के संगठित होनेमें जो मरलता हुई उसमें आपका प्रभाव था। दीवान जी, उन लोगों में हैं, जो किसी कामको आरम्भ करके फिर सफल किये बिना नहीं छोड़ते
श्री रूढामल जी डेरे वाले के प्रसिद्ध व्यापारी है। और इस प्रकार प्रत्येक उत्सवका धारम्भ ही उनके सहयोग से होता है. आप वृद्ध हैं. पर बालकों की तरह सरल, हंसमुख और हरेक सामाजिक कार्यके लिये प्रस्तुत । उत्पव की सफलता के लिये आपने रात-दिन प्रयत्न किया और बिना एक पैसा लिये, पण्डाल निर्माण और प्रकाशकी पूरी व्यवस्था आपने की। इसके बाद भी समितिको आप दान देनेके लिये बराबर उत्सुक रहे ।
श्री रूपचन्दजी एम० ए० भाप जम्बू जैन हाईस्कूल
के हेडमास्टर हैं और इस संस्थाके गठन और विस्तारका जो वैभव आज हम देखते हैं, उसमें आपका बहुत हाथ है । सरल स्वभाव अत्यन्त सज्जन और परिश्रमी । इप उत्सवको उन्होंने अपनी निजी चीज़ समझी और उसकी सफलता के लिये सब कुछ किया और इस तरह किया कि करते मालूम न हो- मूक सेवक । श्री भाई जिनेश्वरदासजी श्री नेमचन्दजी वकील और श्री रायचन्दजी मुख्तारका सहयोग कदम कदम पर समितिको मिला। ऐसा सहयोग
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कि उसके सहारे मार्गके विघ्नोंको सरल करनेमें समतिको महत्वपूर्ण सफलता मिली।
श्री बा० मंगल फिरणजी और दिगम्बरप्रसाद मुख्तार उम्माही कार्यकर्ता हैं। पूछ पूछ कर उन्होंने जिम्मेदारियों ह्रीं. उन्हें निभाया और उत्सबको शानदार बनाने में पूरा प्रयत्न किया ।
समितिके दूसरे सदस्योंने भी जो वे कर सकते थे, करनेमें कसर न रक्खी और उत्पवको जो सफलता मिली, यह सब उन्हींके परिश्रमका ल है, पर कुछ ऐसे •ि श्रोंका सहयोग हमें मिला. अरे बाकायदा समिति के सदस्य न थे, पर जिनकी चिन्ताएं और सहयोग दोनोंने इस महोत्सवको सफलता प्रदान की ।
श्री अदाम जैन रईस शहर के प्रतिष्ठित पुरुष हैं। संस्कृतके पण्डित, जैनसाहित्यके गम्भीर अध्येता और सरल हृदय सेवा परायण । उक्कबका एक एक कथा आपकी सद्भावनाओंसे अभिषिक था और उससी मफलता के लिये आपने पूर्ण प्रयन किया. बरावर चित्रित रहे। शाम के समय मारे में तिथियों के भोजनका उत्तरदायित्व लेकर आपने समितिको निश्चिन्त कर दिया ।
स्काउट मास्टर श्री चन्द्रभानजीका सहयोग बहुत बहुमूल्य था । अपने स्काउटोंके साथ उन्होंने जहां तहाँ सेवाएं कीं। काम छोटा हो या बड़ा, सबको हंस कर किया वर्दीके स्काऊट तो बहुत होते हैं, उन्हें हमने जीवनका
स्काउट पाया ।
श्री मोतीलाल गर्ग स्थानीय समाजके उद्योगी रत्न हैं । काम करना तो उनका स्वभाव ही बन गया है रोगी होते हुए भी, चिकित्सा छोड़ कर इस उत्सव के लिये आप बाहर से आये और उसे सफल बनाने में अपना पूरा भाग अदा किया।
श्री लाला ऋषभसैन जैन बैंक व्यवसायके विशेषज्ञ और हिन्दी के गाईस्थिक समस्याओंके विचार पूर्ण लेखक हैं। परामर्श और सहयोग दोनों उन्होंने समितिको सहयोग दिया और प्रमुख अतिथियोंके निवास और भोजन तथा वर्किंग कमेटी और धर्कस मीटिंग की व्यवस्था अपने यहां करके, उन्होंने समितिका बहुत बड़ा भार अपने सिर से लिया ।